पटना हाईकोर्ट ने क्या बताया ?
सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट की ओर से यह बताया गया कि, बीपीएससी की ओर से राज्य के स्कूलों में टीचर्स की बहाली के लिए पिछले साल विज्ञापन संख्या 22/2024 जारी किया था. उस विज्ञापन में आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए तय 10 फीसद आरक्षण को घटाया गया. जिसके बाद जहां 19,842 पदों की संख्या होनी थी, वह 917 ही रह गई.
कोर्ट में वकील ने रखी अपनी बात
इधर, कोर्ट में वकील अभिनव की ओर से बताया गया कि, शुरूआत में कुल 21,771 पद थे. उस वक्त आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए करीब 2000 पद आरक्षित थे. वहीं, 65 फीसदी आरक्षण को जब साल 2023 में असंवैधानिक करार दे दिया गया, तब सीटें घट गई और EWS को 19842 के बदले 917 सीटों पर आरक्षण देने का निर्णय लिया गया.
BPSC और सरकार से मांगा जवाब
बता दें कि, इस सुनवाई के बाद बिहार सरकार और बीपीएससी को पटना हाईकोर्ट की ओर से सख्त आदेश दिए गए हैं. 4 हफ्ते के अंदर शपथ पत्र देने का निर्देश दिया गया. जिसमें यह भी स्पष्ट करने के लिए कहा गया कि आखिरकार किस आधार पर EWS के लिए आरक्षण में कटौती की गई. साथ ही साथ महिलाओं को विभिन्न वर्गों में दिए गए आरक्षण की ऊर्ध्व क्षैतिज संरचना का आखिर औचित्य क्या है. ऐसे में देखना होगा कि, 23 जून को होनी वाली सुनवाई में क्या कुछ फैसले लिए जाते हैं.
Also Read: बिहार के 3 सीनियर IPS अधिकारियों को मिली नई जिम्मेदारी, ADG कुंदन कृष्णन बनाए गए नोडल ऑफिसरhttps://www.prabhatkhabar.com/state/bihar/patna/ips-officers-including-adg-kundan-krishnan-got-new-responsibility-in-bihar-election