‘7 दिन में DSP और सिपाही को गिरफ्तार करिए…’ बिहार में मर्डर के आरोपियों के लिए पटना हाईकोर्ट का फरमान

Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने सासाराम में तत्कालीन ट्रैफिक डीएसपी के द्वारा फायरिंग में मारे गए युवक के मामले में सुनवाई करते हुए डीजीपी को फरमान दिया कि सप्ताह भर के अंदर डीएसपी और सिपाही को गिरफ्तार करे.

By ThakurShaktilochan Sandilya | April 29, 2025 8:27 AM
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बिहार पुलिस के एक डीएसपी और सिपाही को गिरफ्तार किया जाएगा. पटना हाईकोर्ट ने फरमान जारी किया है. एक सप्ताह की मोहलत इसके लिए दी गयी है. सप्ताह भर के अंदर ही दोनों को गिरफ्तार करने का आदेश है. दोनों हत्या केस के आरोपी हैं और उनकी गिरफ्तारी अभी तक नहीं होने पर अदालत ने नाराजगी जतायी है. मामला सासाराम जिले का है. जहां एक युवक की मौत हुई थी और चार युवक जख्मी हुए थे. विवाद के बाद डीएसपी और उनके बॉडीगार्ड पर गोली चलाने का आरोप लगा था.

डीजीपी को आदेश- एक सप्ताह के अंदर गिरफ्तार करें

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप कुमार की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता राहुल रंजन के द्वारा दायर हुए एक आपराधिक याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान उन्होंने डीएसपी और कांस्टेबल की गिरफ्तारी नहीं होने की जानकारी पाकर कड़ी नाराजगी जतायी. कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया कि एक सप्ताह के भीतर दोनों को गिरफ्तार करके इसकी जानकारी कोर्ट को दें.

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क्या है गोलीबारी का मामला

दरअसल, मामला सासाराम के टाउन थाना क्षेत्र का है. 27 दिसंबर 2024 की रात को कुछ युवक अपने दोस्त शिवम सिंह की जन्मदिन पार्टी मना रहे थे. रात 9 बजे के करीब तत्कालीन ट्रैफिक डीएसपी आदिल बिलाल और उनके बॉडीगार्ड चंद्रमौली नागिया वहां पहुंचे और युवकों से उलझ गए. बहस के दौरान ही अपनी सर्विस रिवॉल्वर से दोनों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. इस क्रम में चार युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गए जबकि एक युवक की मौत हो गयी थी.

कोर्ट के सख्त सवाल

अभियुक्त डीएसपी और उनके सहयोगी की गिरफ्तारी नही होने पर कोर्ट ने सख्त सवाल किये. कोर्ट ने पूछा कि इस देश मे कानून सबके लिए समान है या अलग-अलग? किस कानून में लिखा है कि यदि हत्या जैसे जघन्य अपराध का आरोपी पुलिस अधिकारी हो, तो उसकी गिरफ्तारी नही होगी? याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि घटना सार्वजनिक स्थान पर हुई थी. अगले दिन टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज हुई, लेकिन पुलिस निष्पक्ष तरीके से जांच नही कर रही है. अब तक कोई गिरफ्तारी नही हुई. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अपने अफसर को बचाने के लिए मामला सीआइडी को सौंप दिया गया ताकि जांच लंबित हो जाए और अभियुक्तों को बचाया जा सके. इस मामले पर अगली सुनवाई 5 मई को होगी.

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