साल 2016 में दर्ज शिकायत पर अब मिला न्याय
आयोग (Consumer commission) ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि रेलवे अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी कर अवैध रूप से घाट शुल्क वसूलना सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है. रेलवे को 60 दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया है, अन्यथा शिकायतकर्ता निष्पादन व्यय के रूप में 10 हजार रुपये अतिरिक्त प्राप्त करने का हकदार होगा. साथ ही, आदेश का पालन न करने पर रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 72 के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है, जिसमें कारावास और जुर्माने का प्रावधान है. बता दें कि, शिकायतकर्ता ने सभी शिकायतें 25 जनवरी 2016 को भारत संघ (रेलवे) के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, पूर्व मध्य रेलवे, दानापुर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ दर्ज कराई थीं.
केस 1: 8 रुपये अवैध वसूली पर मिला 45 हजार का हर्जाना
नई दिल्ली से पटना के लिए 8 फरवरी 2014 को 10 बंडलों की खेप बुक किए गए. जिसके बाद अगले दिन ट्रेन से माल उतार दिया गया, लेकिन इसे 10 फरवरी की सुबह तक डिलीवरी के लिए इनवर्ड पार्सल शेड में नहीं लाया गया था. वहीं, शिकायतकर्ता से ₹8 घाट शुल्क वसूला गया. जबकि, माल उपलब्धता के 1 घंटे के भीतर ही ले लिया गया था. आयोग ने बताया कि रेलवे बोर्ड के नियम में यह प्रावधान है कि सुपुर्दगी के लिए उपलब्ध कराए जाने के 18 घंटे तक माल किसी भी घाट शुल्क से मुक्त रहता है. माल उपलब्ध कराए जाने के समय से एक घंटे के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा माल प्राप्त किया गया था.
शिकायत दर्ज करने की तिथि यानी 25 जनवरी 2016 से वसूली तक 12% प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज के साथ 8 रुपये की राशि का भुगतान. मानसिक पीड़ा और शारीरिक उत्पीड़न के लिए 40 हजार, मुकदमे की लागत के रूप में पांच हजार रुपये भुगतान करने का आदेश दिया.
केस 2: 31 रुपये अधिक वसूली पर 45 हजार का हर्जाना
इलाहाबाद से पटना के लिए बुक किए गए दो बंडलों की खेप 01 मार्च 2014 पर ₹61 घाट शुल्क वसूला गया, जबकि नियमानुसार केवल ₹30 ही लगना चाहिए था. आयोग ने शिकायत की तिथि से रेलवे को ₹31 का 12% वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने, मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजा के रुप में 40 हजार और पांच हजार रुपये व मुकदमे की लागत के रूप में पांच हजार रुपये भुगतान करने का आदेश दिया.
केस 3: 419 रुपये की अवैध वसूली पर 50 हजार उपभोक्ता कोष में जमा का आदेश
इलाहाबाद से पटना के लिए 04 मार्च 2014 को बुक किए गए चार बंडलों की खेप ₹419 घाट शुल्क वसूला गया, जबकि माल उपलब्धता के 18 घंटे के भीतर ही ले लिया गया था. इस मामले में आयोग ने रेलवे को ₹419 पर 12% वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने, मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए 40 हजार रुपये, मुकदमे की लागत और पटना जंक्शन पार्सल कार्यालय में घाट शुल्क की कम्प्यूटरीकृत प्रणाली में सुधार कर अनुचित व्यापार प्रथा को बंद करने का निर्देश देते हुए पांच हजार रुपये भुगतान करने का आदेश दिया. साथ ही, रेलवे को 50 हजार रुपये ‘उपभोक्ता कल्याण कोष’ सरकार में जमा करने का भी आदेश दिया गया.
केस 4: ₹6 वसूली पर भी मिला 45 हजार का मुआवजा
इलाहाबाद से पटना के लिए 11 फरवरी 2014 को बुक किए गए एक बंडल की खेप पर ₹6 घाट शुल्क वसूला गया, जबकि माल उपलब्धता के 1 घंटे के भीतर ही ले लिया गया था. आयोग ने रेलवे को ₹6 का 12% वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने, मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए 40 हजार रुपये और पांच हजार रुपये मुकदमे की लागत के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया.