बांकीपुर से अजीमाबाद अंचल तक फैला है बंदरों का आतंक
पटना नगर निगम के बांकीपुर और अजीमाबाद अंचल के एक दर्जन से अधिक मोहल्लों में इन बंदरों का आतंक है. अशोक राजपथ से गंगा तट के बीच के मोहल्लों से लेकर पटना साहिब स्टेशन के आसपास के मोहल्लों में भी बंदरों का आतंक कायम हो चुका है. दिनों दिन बंदरों की बढ़ती संख्या के कारण सिटीवासियों के अलावा देश-विदेश से आनेवाले श्रद्धालुओं को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. एसडीओ, पटना सिटी, ने कहा कि विभिन्न मोहल्लों में आतंक का कारण बन रहे बंदरों को पकड़ कर जैविक उद्यान में डालने के लिए वन विभाग को पत्र लिखा गया है.
गुरुगुद्वारा आनेवाले श्रद्धालु भी हो रहे बंदरों का शिकार
बंदरों के कारण गुरुगुद्वारा आनेवाले श्रद्धालु भी सहमे रहते हैं. पलक झपकते डब्बा गायब की तर्ज पर बंदर सामान झपट कर रफूचक्कर हो जाते हैं और लोग खड़े रह जाते हैं. कुछ वर्षों पहले बंदर ने मच्छरहट्टा मंडी में एक कारोबारी से रुपए का बंडल झपट लिया था. आए दिन बाल लीला गुरुगुद्वारा और तख्त साहिब के आसपास बाहर से आनेवाले श्रद्धालु भी बंदरों के शिकार हो रहे हैं. यहां ज्यादातर घरों में छतों पर लोहे की जाल लगायी गयी है. खासकर बड़े इमारतों में बंदरों का प्रकोप ज्यादा है. जहां बॉलकनी और लिफ्ट स्पेश के पास बंदर पहुंच जाते हैं और बरामदा में पड़े सामानों को बर्बाद कर देते हैं. इन बंदरों से खोमचेवाले भी काफी तबाह हैं. कई बार छीना झपटी में लोग घायल भी हो जाते हैं.
भय में जी रहे महिलाएं और बच्चे
बंदरों के आतंक के कारण क्षेत्र में एक महिला की मौत हो गयी थी. पन्द्रह वर्ष पूर्व हरिमंदिर गली में छत पर कपड़ा डालने गयी महिला बंदर के भय से नीचे कूद गयी गयी थी. जिससे उसकी मौत हो गयी थी. वर्ष 2015 में मिरचाई गली में बंदर ने ईंट गिरा दिया था, जिससे एक पुजारी की मौत हो गई थी. रामबाग में भी बंदर ने छत पर रखा ईंट गली में गिरा दिया था, जिससे सड़क पर कपड़ों की गठरी बांध रहा एक कर्मचारी की सिर फटने से मौत हो गयी थी. वहीं बंदरों के भय से भागने के क्रम में कई लोग छत से गिरकर हड्डी तुड़वा चुके हैं. सिटी चौक के आसपास के इलाकों में बंदरों के भय से महिलाएं और बच्चों ने छत पर जाना छोड़ दिया है.
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