PM Modi Bihar Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 मई को अपने दो दिवसीय बिहार दौरे की शुरुआत पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन के उद्घाटन से की. पीएम शाम 4 बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचे. उसके बाद नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया. जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैयार हुआ यह नया टर्मिनल न सिर्फ वास्तुशिल्प के लिहाज से भव्य है, बल्कि इसकी सुविधाएं भी अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित हैं. अत्याधुनिक तकनीकों और यात्रियों की सहूलियत को ध्यान में रखकर तैयार किया गया यह टर्मिनल बिहार के हवाई यातायात को नई दिशा देगा.
इस नए टर्मिनल से प्रतिदिन हजारों यात्रियों को तेज, आरामदायक और सुरक्षित सेवाएं मिल सकेंगी. इसमें आधुनिक चेक-इन काउंटर, हाई-स्पीड बैगेज सिस्टम, यात्रियों के लिए आरामदायक प्रतीक्षालय और उन्नत सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. पीएम मोदी ने इसे ‘नए बिहार के नए प्रवेश द्वार’ की संज्ञा दी है. इस टर्मिनल के शुरू होने से पटना अब देश के प्रमुख एयरपोर्ट्स की कतार में शामिल हो गया है.
लोक संस्कृति से जुड़ी है पटना एयरपोर्ट की आधुनिक इमारत
नए टर्मिनल का डिजाइन एकदम खास है. इसे इस तरह तैयार किया गया है कि इसमें बिहार की सांस्कृतिक झलक साफ दिखे. टर्मिनल की बाहरी दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग और मिथिला कला को दर्शाया गया है. इमारत का स्ट्रक्चर स्टील और ग्लास से बना है, जो इसे अत्याधुनिक बनाता है. बिल्डिंग में भरपूर प्राकृतिक रोशनी आने की व्यवस्था की गई है, जिससे बिजली की खपत कम हो और यात्रियों को ताजगी का अनुभव मिले.
टर्मिनल भवन का आकार और संरचना
नया टर्मिनल दो मंजिला इमारत है. नीचे का फ्लोर अराइवल और ऊपर का फ्लोर डिपार्चर के लिए बनाया गया है. टर्मिनल का कुल क्षेत्रफल लगभग 65,000 वर्ग मीटर है. इसमें एक साथ 1,500 यात्रियों को संभालने की व्यवस्था है. यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए वेटिंग एरिया, बैठने की पर्याप्त व्यवस्था, और एयरलाइंस के काउंटर को बहुत ही व्यवस्थित ढंग से डिजाइन किया गया है.
लागत और निर्माण
इस नए टर्मिनल को तैयार करने में कुल 1,200 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसका निर्माण एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) द्वारा किया गया है. यह प्रोजेक्ट समयबद्ध तरीके से पूरा हुआ और इसे भविष्य की ज़रूरतों के हिसाब से लचीलापन दिया गया है. यह टर्मिनल आने वाले वर्षों में 80 लाख यात्रियों की सालाना क्षमता रखता है.
उड़ानों की क्षमता
नया टर्मिनल बनने के बाद अब पटना एयरपोर्ट से 75 से 80 फ्लाइट्स प्रतिदिन उड़ान भर सकेंगी. अभी के मुकाबले यह संख्या करीब दोगुनी है. नए एप्रन क्षेत्र में एक साथ 8 से 10 विमान खड़े हो सकते हैं, जिससे लैंडिंग और टेकऑफ की प्रक्रिया तेज़ और सुरक्षित होगी.
सुरक्षा व्यवस्था
यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए तीन स्तर की सुरक्षा जांच रखी गई है. पहला सिक्योरिटी लेयर मुख्य गेट पर होगा, दूसरा चेक-इन काउंटर के बाद और तीसरा बोर्डिंग से पहले. पूरे टर्मिनल में 100 से अधिक CCTV कैमरे, फेस रिकग्निशन सिस्टम, और बॉडी स्कैनर लगाए गए हैं. महिला यात्रियों के लिए अलग चेकिंग ज़ोन और दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं मौजूद हैं.
अंदर की सुविधाएं
नई टर्मिनल बिल्डिंग में 4 हाई-स्पीड लिफ्ट्स, 6 एस्केलेटर, और 3 बड़े बैगेज बेल्ट लगाए गए हैं. हर यात्री को बोर्डिंग से लेकर अराइवल तक आसान और सुगम यात्रा अनुभव देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. वेटिंग लाउंज, कैफेटेरिया, बच्चों के लिए बेबी केयर रूम और यात्रियों के लिए मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट भी हैं.
पार्किंग की व्यवस्था
टर्मिनल के साथ-साथ एक नई मल्टीलेवल पार्किंग सुविधा भी तैयार की गई है, जहां 750 से अधिक गाड़ियां पार्क की जा सकती हैं. टू-व्हीलर के लिए अलग जोन बनाया गया है और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ईवी चार्जिंग स्टेशन भी मौजूद है. पार्किंग क्षेत्र को पूरी तरह से कैमरों की निगरानी में रखा गया है.
बेसमेंट और तकनीकी भाग
टर्मिनल के नीचे एक बेसमेंट फ्लोर बनाया गया है, जिसमें एयरपोर्ट स्टाफ के लिए पार्किंग, तकनीकी उपकरणों का कंट्रोल रूम, और इमरजेंसी व्यवस्थाएं शामिल हैं. इस क्षेत्र का इस्तेमाल संकट की स्थिति में सुरक्षित शेल्टर के रूप में भी किया जा सकता है.
ग्रीन और स्मार्ट बिल्डिंग
यह टर्मिनल एक ग्रीन बिल्डिंग मॉडल पर आधारित है. इसमें सोलर पैनल्स, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, और एनर्जी सेविंग लाइट्स लगाए गए हैं. टर्मिनल को ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन के लिए भी प्रस्तावित किया गया है.
डिजिटल तकनीक और स्मार्ट सेवा
नए टर्मिनल में यात्रियों को डिजिटल सुविधाएं भी दी गई हैं जैसे कि सेल्फ चेक-इन कियोस्क, डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड, और फ्लाइट की रियल टाइम जानकारी. यात्री मोबाइल ऐप से बोर्डिंग पास डाउनलोड कर सकते हैं और गेट नंबर भी देख सकते हैं. टर्मिनल में 6 मुख्य द्वार बनाए गए हैं. जिनसे यात्रियों की भीड़ को अलग-अलग ज़ोन में बांट कर व्यवस्थित किया जाएगा. आगमन और प्रस्थान की अलग-अलग लेन होने से कोई टकराव या अव्यवस्था नहीं होगी.
(सहयोगी मानसी की रिपोर्ट)
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