पूछताछ के बाद मिली कई जानकारियां
यह कार्रवाई पूर्व में हाजीपुर, पटना, सोनपुर और डेहरी ऑन सोन में गिरफ्तार किए गए इंजीनियरिंग विभाग के रेल अधिकारियों से हुई पूछताछ के आधार पर की गई है. अधिकारियों ने कथित तौर पर रेलवे स्क्रैप की अवैध बिक्री और लॉजिस्टिक्स गड़बड़ी में संलिप्तता की जानकारियां दी थीं. वहीं, डेहरी में सीनियर सेक्शन इंजीनियर राजकुमार सिंह सहित चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद CBI को कई अहम सुराग मिले, जिसके बाद मुजफ्फरपुर और गड़हरा में यह ताजा कार्रवाई हुई. रेलवे में भ्रष्टाचार और स्क्रैप चोरी के मामले कोई नई बात नहीं हैं. हाल के महीनों में CBI ने कई बड़े मामलों का खुलासा किया है.
पहले भी हो चुकी है छापेमारी
मार्च 2025 में पूर्व मध्य रेलवे में विभागीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में 26 रेल अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें 1.17 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे. इसी तरह, अक्टूबर 2024 में हाजीपुर में 15 करोड़ रुपये के रेलवे कॉन्ट्रैक्ट घोटाले में दो रेलवे अधिकारियों और एक ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इन सभी मामलों से साफ है कि रेलवे में भ्रष्टाचार और चोरी का जाल गहरा और व्यापक है. सीबीआई की मौजूदा कार्रवाई इस जाल को तोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.
रेलवे महकमे में दहशत
CBI की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई से रेलवे महकमे में दहशत का माहौल है. रेलवे विजिलेंस के वरिष्ठ अधिकारी भी इस जांच में शामिल हैं और आंतरिक रिपोर्ट्स को फिर से खंगाला जा रहा है. अब अन्य ज़ोन और मंडलों में भी ऐसी छापेमारी की संभावना जताई जा रही है. सीबीआई ने इस मामले से जुड़े लोगों से अपील की है कि अगर किसी के पास रेलवे स्क्रैप की अवैध बिक्री या भ्रष्टाचार से जुड़ी कोई जानकारी हो तो वह सीधे CBI से संपर्क कर सकते हैं. सूचना देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी.
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