20 वर्षों में सड़कों का बिछा जाल, आर्थिक प्रगति का बना आधार

साल-2005 में बिहार की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले राज्य की उबड़-खाबड़ सड़कों को ठीक करने का बीड़ा उठाया.

By RAKESH RANJAN | June 25, 2025 12:31 AM
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संवाददाता,पटना साल-2005 में बिहार की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले राज्य की उबड़-खाबड़ सड़कों को ठीक करने का बीड़ा उठाया. उन्हें पता था कि परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त किए बिना, राज्य को विकास की पटरी पर नहीं दौड़ाया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपने स्तर से नई सड़कें बनाने की शुरुआत की. अब चूंकि बीते बीस वर्षों में बिहार सरकार का खजाना खाली था, इसलिए पूरे राज्य की सड़कों को सुधार पाना मुमकिन नहीं था. लेकिन, सड़क व्यवस्था को दुरुस्त करना मुख्यमंत्री की प्राथमिकता थी. इसके लिए उन्होंने साल-2008 में एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर राज्य में नई सड़कों का निर्माण के साथ-साथ पुरानी सड़कों को दुरुस्त कराया. 2008 से अब तक, एडीबी ने बिहार को कुल 1.63 बिलियन डॉलर के पांच ऋण दिये हैं.इससे लगभग 1,696 किलोमीटर राज्य राजमार्गों का निर्माण हुआ है. इसके अलावे नीतीश कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी तेजी से सड़क बनवाये. गांवों को भी रोड नेटवर्क से जोड़ा गया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 20 वर्षों में बिहार में सड़कों का जाल बिछा है. सिर्फ शहर की नहीं बल्कि गांवों को भी रोड नेटवर्क से जोड़ा गया है. इसी का परिणाम है कि बिहार में आर्थिक विकास की दर तेज हुई है.सड़कें लोगों की आर्थिक प्रगति का आधार बनी हैं.बिहार के गांव-गांव में सड़कें बनने से आर्थिक गतिविधि बढ़ी है. सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ लेकर लोग ग्रामीण इलाकों में भी खुद का कारोबार कर रहे हैं. उनके गांव-टोले तक अब चमचमाती सड़कें बन गयी हैं. यातायात से साधन सुगम हो गये हैं. इतना ही नहीं, प्रदेश के गांवों में रहकर छोटे-छोटे कारोबार करने वाले लोग अब आसानी से अपना उत्पाद शहरों में आपूर्ति कर रहे हैं.यहां उन्हें उनके प्रोडक्ट का सही मूल्य मिल रहा है. प्रति व्यक्ति आय में 700 % से अधिक का इजाफा बिहार में गांवों के सड़क से जुड़ने की वजह से न सिर्फ आवागमन बढ़िया हुआ है, बल्कि ग्रामीणों के लिए कारोबार-व्यापार भी आसान हुआ है. इससे गांवों के लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद मिली है, जिसके परिणाम स्वरुप प्रति व्यक्ति आय में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. बिहार में 2005 में प्रति व्यक्ति आय 8,223 रुपये थी जो अब 2025 में बढ़कर 66,828 रुपये हो गयी है. पिछले 20 सालों में प्रति व्यक्ति आय में सात सौ फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है. किसानों की बढ़ी आमदनी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2013 में प्रदेश की मुख्य सड़कों को गांवों से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना शुरू की थी. इसका सकारात्मक परिणाम सामने है.राज्य में नये उद्योगों की स्थापना, पयर्टन स्थलों पर पर्यटकों के आने की संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिला है.

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