Sawan 2025: अंग्रेजों की गोलियां भी नहीं तोड़ सकीं शिवलिंग, बिहार के इस मंदिर में आज भी मौजूद हैं निशान

Sawan 2025: पटना सिटी के गायघाट स्थित 400 साल पुराने गौरी शंकर मंदिर से जुड़ी एक चमत्कारी कथा आज भी लोगों को रोमांचित करती है. कहा जाता है कि ब्रिटिश काल में जब अंग्रेजों ने मंदिर तोड़ने की कोशिश की तो शिवलिंग पर चलाई गोलियां आज भी उसके मस्तक पर मौजूद हैं. भक्त मानते हैं कि तब स्वयं शिव ने अपने मंदिर की रक्षा की थी.

By Abhinandan Pandey | July 22, 2025 6:14 PM
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Sawan 2025: (पटना से जयश्री आनंद) पटना के गायघाट स्थित यह ऐतिहासिक गौरी शंकर मंदिर की कथा रहस्यों और आस्था से जुड़ी है. जो 400 साल पुराना है. इसके अलावा स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है. यहां बहुत से श्रद्धालु रोज़ाना दर्शन करने आते हैं. खास कर सावन मे यहां अधिक भीड़ होती है. लेकिन इस मंदिर से जुड़ी एक ऐसी घटना है जो आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है. कहते हैं, जब देश अंग्रेजों के अधीन था, तब उन्होंने इस मंदिर को भी तोड़ने की कोशिश की थी. ब्रिटिश सैनिकों ने मंदिर पर आक्रमण कर शिवलिंग पर गोलियां चला दी थी. लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर सारे सैनिक वहां से डर कर भाग निकले.

शिवलिंग पर आज भी है गोलियों के निशान

अंग्रेजों ने जब गौरी शंकर मंदिर के शिवलिंग पर हमला किया तो उन्होंने तीन गोलियां चलाईं. हैरानी की बात यह रही कि इनमें से दो गोलियां शिवलिंग को चीरते हुए निकल गईं, लेकिन तीसरी गोली सीधी शिवलिंग के मस्तक पर जा लगी है और आज भी वो गोली वहीं धंसी हुई है. यह निशान आज भी लोगों को उस चमत्कारी घटना की याद दिलाता है, जब खुद शिव ने अपने मंदिर की रक्षा की थी.

जान बचाकर भागे अंग्रेज

एक पौराणिक कथा के अनुसार, जैसे ही अंग्रेजों ने शिवलिंग पर गोली चलाई, उसी समय शिवलिंग से अचानक हजारों की संख्या में भंवरे निकलने लगे. यह दृश्य इतना भयावह था कि अंग्रेज सैनिक घबरा गए और अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग खड़े हुए. माना जाता है कि यह स्वयं भगवान शिव की लीला थी, जिन्होंने अपने दरबार की रक्षा इसी अद्भुत तरीके से की.

स्वयंभू हैं महादेव

स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पूजित शिवलिंग किसी मानव द्वारा स्थापित नहीं किया गया है बल्कि यह स्वयंभू रूप में भूमि से प्रकट हुआ था.

रुद्राभिषेक की है विशेष महिमा

इस पावन मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक कराते हैं. यहां की परंपरा यही है कि भक्ति-भाव से शिवलिंग पर दूध, दही, घृत, शहद आदि अर्पित करने पर भोलेनाथ विशेष कृपा प्रदर्शित करते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धापूर्वक लंबित इच्छा लेकर आता है, वे शीघ्र ही पूर्ण हो जाती है. इसलिए भक्तों का यह अलौकिक मंदिर मन की शांति और विश्वास की अनुभूति का केन्द्र बन गया है.

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