Sawan 2025: बिहार के इस चमत्कारी मंदिर का रातों-रात बदल गया था द्वार, ब्रह्मा ने की थी शिवलिंग की स्थापना

Sawan 2025: बक्सर जिले के ब्रह्मपुर गांव में स्थित प्राचीन ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर सावन में आस्था का बड़ा केंद्र बन जाता है. चोल कालीन वास्तुकला और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा यह मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. मान्यता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना स्वयं ब्रह्मा जी ने की थी.

By Abhinandan Pandey | July 11, 2025 2:15 PM
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Sawan 2025: बिहार के बक्सर जिले में स्थित ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और रहस्य का ऐसा संगम है, जो वैदिक युग से लेकर चोल वंश के स्थापत्य तक की अद्भुत गाथा सुनाता है. सावन के पावन महीने में यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं का केंद्र बन जाता है, जहां कांवरिए रामरेखा घाट से जल भरकर “मनोकामना महादेव” के दर्शन के लिए पैदल यात्रा करते हैं.

वैदिक काल से जुड़ी पौराणिक मान्यता

ब्रह्मपुर गांव में स्थित इस प्राचीन मंदिर की प्रतिष्ठा स्वयं ब्रह्मा जी ने की थी. यही कारण है कि गांव का नाम भी “ब्रह्मपुर” पड़ा. शिव महापुराण की रुद्र संहिता में इस मंदिर का विशेष उल्लेख मिलता है. यहां साधुओं का भैरव नंद योगी संप्रदाय वर्षों तक तप करता रहा. मंदिर के पुजारी पप्पू पांडेय बताते हैं कि यह स्थान सदियों से साधना और सिद्धि का केंद्र रहा है.

चोल वंश की स्थापत्य कला का उत्तर भारत में अनोखा उदाहरण

इतिहासकारों के अनुसार, मंदिर की स्थापत्य शैली दक्षिण भारत के चोल वंश की है. इसकी दीवारें, गर्भगृह और शिखर पूरी तरह से द्रविड़ शैली में निर्मित हैं. स्थानीय मान्यता है कि यह निर्माण चोल शासक नरसिंहदेव प्रथम के शासनकाल में हुआ था. उत्तर भारत में चोल वास्तुकला का यह एक दुर्लभ उदाहरण माना जाता है.

रहस्यमयी चमत्कार: जब रातों-रात द्वार हुआ पश्चिममुखी

मंदिर की सबसे बड़ी रहस्यात्मक विशेषता है इसका पश्चिममुखी प्रवेश द्वार. आमतौर पर शिव मंदिरों का द्वार पूर्वमुखी होता है, लेकिन यहां एक किंवदंती जुड़ी है. बताया जाता है कि मोहम्मद गजनी के सेनापति ने इसे ध्वस्त करने की योजना बनाई, लेकिन जब पुजारियों ने चमत्कार की बात कही, तो उसने द्वार के पश्चिम की ओर मुड़ने की चुनौती दी. अगली सुबह मंदिर का द्वार पश्चिममुखी हो गया, जिसे देखकर सेनापति भाग खड़ा हुआ.

शंकर लड्डू: श्रद्धा और स्वाद का संगम

ब्रह्मपुर का प्रसिद्ध शंकर लड्डू, गुड़ और बूंदी से बना ऐसा प्रसाद है जो पिछले 70 वर्षों से मंदिर की पहचान बना हुआ है. इसकी बनावट खास होती है- बाहर से गुड़ का स्वाद, भीतर से नर्म बूंदी की मिठास.

सावन में आस्था का सैलाब

इस वर्ष सावन में चार सोमवारी और एक महाशिवरात्रि पड़ने से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावना है. मंदिर समिति के अनुसार, करीब 10 लाख कांवरिए ब्रह्मेश्वर नाथ के दर्शन को पहुंच सकते हैं. जलाभिषेक के लिए रामरेखा घाट से मंदिर तक कांवर यात्रा के विशेष प्रबंध किए गए हैं.

सुरक्षा और व्यवस्थाएं चाक-चौबंद

NDRF की टीम तैनात की गई है. शिवगंगा सरोवर के किनारे बैरिकेडिंग, ड्रॉप गेट, वन-वे ट्रैफिक, और CCTV निगरानी की व्यवस्था की गई है. NH 922 पर खासकर कांवरियों की आवाजाही के लिए रूट डायवर्जन लागू किया गया है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विशेष रुचि

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो बार मंदिर में दर्शन कर चुके हैं और मंदिर क्षेत्र के सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों की योजना भी स्वीकृत कर चुके हैं. इसमें स्वागत द्वार, पार्क, बस स्टैंड और अतिथि गृह का निर्माण कार्य शामिल है.

कैसे पहुंचे ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर?

पटना से सड़क मार्ग द्वारा यह मंदिर करीब 108 किलोमीटर दूर है. बक्सर मुख्यालय से दूरी लगभग 40 किलोमीटर है. निकटतम रेलवे स्टेशन रघुनाथपुर है, जो मंदिर से केवल 3 किलोमीटर दूर स्थित है. ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रमाण है, जहां हर सावन श्रद्धा का महासागर उमड़ता है.

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