फुलवारीशरीफ. एम्स पटना के जूनियर डॉक्टर यजुवेंद्र साहू की मौत के बाद संस्थान का माहौल गर्मा गया है. रेजिडेंट डॉक्टर और मेडिकल छात्रों ने प्रशासन पर लापरवाही और संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. परिजनों का आरोप है कि मौत के तीन दिन बाद तक एम्स प्रशासन ने न पोस्टमार्टम कराया और न ही परिजनों से मुलाकात की. थक हारकर परिजन शव को पीएमसीएच लेकर पहुंचे. डॉक्टरों और छात्रों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर स्वतंत्र जांच की मांग की है. पत्र में कहा गया है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि संस्थागत दबाव का नतीजा हो सकता है. उन्होंने दावा किया कि पहले भी साल 2023 में हरियाणा के डॉक्टर नीलेश की एम्स में आत्महत्या हुई थी, लेकिन तब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. छात्रों और रेजिडेंट्स की तीन बड़ी मांगें हैं, स्वतंत्र जांच कमेटी बने, पीड़ित परिवार को न्याय मिले और कार्यसंस्कृति में बदलाव लाया जाये. उनका यह भी आरोप है कि प्रशासन ने डॉक्टरों को चुप रहने की धमकी दी है. मामले पर एम्स प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आयी है.
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