Shravani Mela 2025: बिहार के इन 5 मंदिरों के दर्शन सावन के पावन महीने में जरूर कीजिए… जानिए क्यों है खास

Shravani Mela 2025: सावन, महीने का वो समय है जब हर गली, हर रास्ता 'बोल बम' के नारों से गूंज उठता है. कांवरिया पथ पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है. ऐसे में हर मंदिर आस्था का केंद्र बन जाता है. वहीं, बिहार के 5 ऐसे मंदिर हैं जहां के दर्शन सावन महीने में जरूर करने चाहिए.

By Preeti Dayal | July 19, 2025 2:51 PM
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Shravani Mela 2025: सावन महीने में शिव की पूजा और अभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है, जिससे भक्तों को विशेष कृपा और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है. आप भी बिहार के 5 प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन जरूर करें, जहां शिव सिर्फ मूर्ति नहीं बल्कि एक जीवंत अनुभूति है.

सोनपुर का बाबा हरिहरनाथ मंदिर

यह मंदिर हरिहर क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इसे इतना पावन माना गया है कि, स्वयं ऋषियों ने इसे प्रयाग और गया जी से भी श्रेष्ठ कहा है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है जब इंद्रद्युम्न नाम के एक राजा को श्रापवश हाथी का जन्म मिला और हुहु नामक गंधर्व मगरमच्छ बन गया. वर्षों बाद, सोनपुर में जहां गंगा और गंडक नदियां मिलती हैं, वहीं इन दोनों का आमना-सामना हुआ और एक लंबे समय तक संघर्ष चलता रहा. हाथी जब थक कर हार मानने लगा, तब उसने पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु को पुकारा. कहते हैं कि, उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु खुद प्रकट हुए और गज को मगरमच्छ से बचाकर उसे मुक्ति दिलाई. यही स्थल आज ‘गज-ग्राह युद्ध स्थल’ के रूप में प्रसिद्ध है, जिसे कोनहराघाट कहा जाता है.

मुजफ्फरपुर का श्री गरीबनाथ मंदिर

बिहार का मुजफ्फरपुर न केवल लीची के लिए फेमस है बल्कि यहां का गरीबनाथ मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था का केंद्र है. यहां स्थित शिवलिंग को स्वयंभू (अपने आप प्रकट हुआ) माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि, यहां भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे, जिससे यह मंदिर और भी पवित्र माना जाता है. साथ ही हर साल सावन में गरीबनाथ मंदिर का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. हर सोमवार को कांवड़िया गंडक नदी से जल लाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं.

लखीसराय का अशोकधाम

बिहार का अशोकधाम जिसे लखीसराय जिला में इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है, यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि, एक 13 वर्षीय बालक अशोक कुमार अपने दोस्तों के साथ खेत में गिल्ली-डंडा खेल रहा था और खेलते-खेलते जब अशोक ने जोर से डंडा जमीन पर मारा, तो उसे नीचे से एक कठोर और चिकनी सतह का आभास हुआ. जिसके बाद उत्सुकता में उसने अपने हाथों से मिट्टी हटानी शुरू की. धीरे-धीरे एक गोलाकार आकृति सामने आई और फिर एक विशाल शिवलिंग का ऊपरी भाग दिखाई दिया और वहां के रहने वालों ने उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करा दिया. तभी से यहां शिवजी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-चौड़ी भीड़ उमड़ती है.

बक्सर जिले का बूढ़ा महादेव मंदिर

यह मंदिर स्कंद पुराण में उल्लेखित है और कहा जाता है कि, भगवान ब्रह्मा ने अपने हाथों से शिवलिंग की स्थापना की थी. इसी वजह से इसे ‘ब्रह्मेश्वर’ नाम से भी जाना जाता है. साथ ही यहां के स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि, जब मोहम्मद गजनी मंदिर तोड़ने आया था, तो उस समय मंदिर का दरवाजा पूर्व दिशा की ओर था. गजनी ने कहा कि, यदि यह मंदिर सच में चमत्कारी है, तो रात में दरवाजा अपनी दिशा बदल ले. अगली सुबह मंदिर का मुख पूर्व से पश्चिम मुखी हो गया और गजनी वहां से डर कर लौट गया. बता दें कि, यह कथा आस्था पर आधारित है, इतिहास पर नहीं.

भागलपुर का अजगैबीनाथ मंदिर

भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में बसा अजगैबीनाथ मंदिर, गंगा नदी के एक मनोरम चट्टान पर निर्मित है.यह केवल एक शिव मंदिर नहीं, बल्कि सावन में लाखों कांवड़ियों का तिलक है, जो यहां गंगाजल लेकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ को समर्पित करते हैं. यहीं से सावन में इस धर्मयात्रा की शुरुआत होती है. साथ ही यहां की एक और खासियत है कि, यह मंदिर गंगा के उस हिस्से में स्थित है जहां नदी उत्तर दिशामुखी बहती है. जो हिंदू धर्मशास्त्रों में अत्यंत दुर्लभ और पवित्र मानी जाती है.

(जयश्री आनंद की रिपोर्ट)

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