संवाददाता, पटना अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निषेध दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए सख्त कानून लागू करने और समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल दिया. हितैषी हैप्पीनेस होम, नशा मुक्ति एवं मानसिक आरोग्य केंद्र की निदेशक सुमिता शर्मा ने कहा कि नशे की लत युवाओं को बर्बाद कर रही है. इसे रोकने के लिए केवल जागरूकता ही नहीं, बल्कि सख्त कानूनी प्रावधानों की भी आवश्यकता है. मनोवैज्ञानिक डॉ बिंदा सिंह ने कहा कि यदि समय पर परामर्श और चिकित्सा मिले, तो कई युवाओं को इस बुरी लत से बचाया जा सकता है. निदेशक डॉ विवेक विशाल ने चेतावनी दी कि नशे का कारोबार अब हथियारों के व्यापार के बाद दूसरा सबसे बड़ा गैरकानूनी व्यापार बन चुका है, जो मानवता के लिए खतरा है. कोईलवर मानसिक अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ केपी शर्मा ने बताया कि हर वर्ष दो लाख लोग ड्रग्स के कारण मरते हैं और 10 से 14 आयु वर्ग के बच्चों में मृत्यु का एक बड़ा कारण नशा है. डॉ प्रतिभा सिंह ने बताया कि अब महिलाएं भी तेजी से नशे की चपेट में आ रही हैं. 47 फीसदी महिलाएं अवसाद, 55 फीसदी चिंता और 23 फीसदी शारीरिक पीड़ा से पीड़ित हैं. डॉ कामिनी के अनुसार भारत में 25 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. मनोवैज्ञानिक आराधना और गुड़िया कुशवाहा ने कहा कि युवाओं को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने और उन्हें सही मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है
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