बिहार के सीनियर IAS प्रत्यय अमृत के बारे में जानिए सबकुछ, चेंजमेकर की भूमिका में रहें, अब मुख्य सचिव की मिली जिम्मेदारी

Pratyaya Amrit: गोपालगंज के छोटे से गांव से निकलकर बिहार प्रशासन के शीर्ष पद तक पहुंचने वाले प्रत्यय अमृत की कहानी मेहनत, दूरदृष्टि और संकल्प का प्रतीक है. मुजफ्फरपुर में पले-बढ़े प्रत्यय के माता-पिता शिक्षाविद् रहे, जिन्होंने उन्हें मूल्यों और शिक्षा की नींव दी. केंद्र सरकार से नीतीश कुमार ने उन्हें विशेष रूप से बुलाया और उन्होंने पुल निर्माण, बिजली और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में ऐतिहासिक कार्य किए. अब वे बिहार के नए मुख्य सचिव बनने जा रहे हैं.

By Abhinandan Pandey | August 5, 2025 10:57 AM
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Pratyaya Amrit: बिहार के प्रशासनिक इतिहास में कुछ नाम ऐसे दर्ज होते हैं, जो अपनी कार्यशैली, जनसरोकार और दूरदृष्टि से बदलाव की पहचान बन जाते हैं. प्रत्यय अमृत ऐसे ही अफसर हैं, जिनका जीवन सिर्फ एक प्रशासनिक अधिकारी की कहानी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है. अब वह 1 सितंबर 2025 से बिहार के नए मुख्य सचिव का पद संभालने जा रहे हैं. लेकिन इस ऊंचाई तक पहुंचने का उनका सफर एक साधारण किसान परिवार से शुरू होकर असाधारण उपलब्धियों से होकर गुजरा है.

पिता रह चुके हैं जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति

प्रत्यय अमृत का जन्म मुजफ्फरपुर में हुआ, लेकिन उनकी जड़ें गोपालगंज जिले के भरतपुरा गांव से जुड़ी हैं. उनके पिता डॉ. रिपुसूदन श्रीवास्तव दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर और लंगट सिंह कॉलेज, मुजफ्फरपुर के विभागाध्यक्ष रहे. बाद में वह जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति बने. उनकी मां डॉ. कविता वर्मा भी उसी कॉलेज में हिंदी की प्राध्यापक थीं. ऐसे शैक्षणिक माहौल में पले-बढ़े प्रत्यय अमृत ने इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और 1991 में उन्होंने सिविल सेवा में सफलता प्राप्त की.

प्रारंभिक प्रशासनिक यात्रा: जिलों से सीधा जुड़ाव

1989 बैच के IAS अधिकारी प्रत्यय अमृत ने अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत जिलों से की. उन्होंने कटिहार, छपरा और जहानाबाद जैसे संवेदनशील जिलों में जिलाधिकारी के रूप में काम किया. खासकर कटिहार में उनके द्वारा लागू किया गया पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल वाला जिला अस्पताल आज भी एक उदाहरण के रूप में देखा जाता है. उनकी कार्यशैली हमेशा लोगों से जुड़ने और समाधान पर केंद्रित रही. आम लोगों से सीधे संवाद, जमीनी हकीकत को समझना और त्वरित निर्णय उनकी पहचान बन गई.

नीतीश कुमार के ‘गुड बुक’ में आने की कहानी

जब नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार की कमान संभाली, प्रत्यय अमृत उस वक्त केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर थे. लेकिन नीतीश ने उन्हें विशेष रूप से बिहार बुलाया और पुल निर्माण निगम की जिम्मेदारी सौंपी. उन्होंने पुल निर्माण में गुणवत्ता, समयबद्धता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी. उनकी इस मेहनत और नेतृत्व के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उन्हें ‘एक्सीलेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया. इसके बाद अमृत ने बिजली विभाग, पथ निर्माण और आपदा प्रबंधन जैसे अहम क्षेत्रों में भी अपनी दक्षता का लोहा मनवाया.

कोविड काल में कमान संभालना

जब कोरोना महामारी के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठने लगे, तब प्रत्यय अमृत को स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी दी गई. उन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद कोविड प्रबंधन को मजबूत किया और वैक्सीनेशन, टेस्टिंग और अस्पतालों की व्यवस्था को गति दी. यह एक बार फिर साबित करता है कि उन्हें जब भी मुश्किल समय में जिम्मेदारी दी गई, उन्होंने बेहतर परिणाम दिए.

परिवार में सेवा और शिक्षा की परंपरा

प्रत्यय अमृत का परिवार प्रशासनिक और शैक्षणिक सेवा से जुड़ा रहा है. उनकी बहन प्रज्ञा ऋचा 1991 बैच की आईपीएस हैं, बहनोई मनु श्रीवास्तव भी 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उनकी पत्नी डॉ. रत्ना श्रीवास्तव पटना के ए.एन. कॉलेज में प्राध्यापक हैं, जिनका चयन कॉलेज प्रिंसिपल के रूप में हो चुका है. उनके ससुर भी आईएएस रहे हैं. यह परिवार सेवा, शिक्षा और समर्पण का प्रतीक बन चुका है.

कला, खेल और सामाजिक सरोकारों में रुचि

प्रत्यय अमृत सिर्फ एक सख्त प्रशासक ही नहीं, बल्कि संवेदनशील और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं. उन्हें कला, संगीत और खेलों से विशेष लगाव है. उन्होंने विद्युत कार्यालय भवन को सुंदर चित्रों से सजवाया, अनाथ बच्चों के लिए काम किया और सोनपुर मेले में अश्लील नृत्य पर रोक लगाकर सांस्कृतिक सुधार की मिसाल पेश की.

बिहार जैसे राज्य में जहां प्रशासनिक कुशलता और राजनीतिक संतुलन दोनों की आवश्यकता है, वहां प्रत्यय अमृत जैसे अफसर का मुख्य सचिव बनना राज्य के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है. उनकी जीवन यात्रा बताती है कि अगर इरादे स्पष्ट हों और लक्ष्य जनसेवा हो, तो कोई भी ऊंचाई दूर नहीं.

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