बिहार में मुखिया के बनने के लिए भी क्रिमिनल केस होना जरूरी, सुप्रीम कोर्ट की गंभीर टिप्पणी
Supreme Court: जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘बिहार मेंएक गांव/पंचायत के मुखिया के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होना ही चाहिए.'
By Ashish Jha | March 28, 2025 8:05 AM
Supreme Court: पटना. सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर बिहार सिंड्रोम का असर देखने को मिला है. आपराधिक मामले में मुखिया की अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जस्टिस कोटिश्वर सिंह ने बिहार पर गंभीर टिप्पणी की है. जस्टिस कोटिश्वर सिंह ने कहा, ‘यदि आप पर कोई आपराधिक मुकदमा न हो तो आप बिहार में मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत सकते हैं.’ शीर्ष अदालत ने आपराधिक मामले में बिहार के एक मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि ‘बिहार में एक मुखिया होने के लिए जरूरी है कि आपके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हो.
आप बिहार में मुखिया बनने के योग्य नहीं
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताकी ओर से पेश अधिवक्ता से पूछा, ‘क्या इस मामले के अलावा भी आपके मुवक्किल के खिलाफ कोई और आपराधिक मुकदमा है? यदि हां तो अन्य मामलों का ब्यौरा कहां है. इसके जवाब में अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ अन्य मामले भी दर्ज हैं और यह सब गांव की राजनीति के चलते हुए है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘बिहार मेंएक गांव/पंचायत के मुखिया के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होना ही चाहिए.’ उन्होंने कहा कि मेरे साथी जज जस्टिस कोटिश्वर सिंह कह रहे हैं कि यदि आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है तो आप बिहार में मुखिया बनने के योग्य नहीं है.
अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका को खारिज
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मुखिया की ओर से पेश अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत की मांग करते हुए बार-बार इस बात पर जोर दिया कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा आपने ‘गुंडों को किराए पर लिया है, एक हेलमेट पहने हुए है, दूसरा टोपी पहने हुए बाइक पर है. उनमें से एक ने मोबाइल गिरा दिया और अब आप (याचिकाकर्ता) फंस गए है, क्योंकि आपके खिलाफ साक्ष्य है. इसके साथ ही, पीठ ने अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी.
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