पटना. शिक्षक अब डिजिटल माध्यमों के जरिये कक्षा की सीमाओं से बाहर निकल कर वैश्विक मंच पर विद्यार्थियों से जुड़ सकते हैं. शिक्षण की आधुनिक तकनीकों से लैस होकर वे अपने ज्ञान और कौशल को दुनिया भर में साझा कर सकते हैं. इसी उद्देश्य के साथ आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के अकादमिक एवं प्रशासनिक विकास केंद्र द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ऑनलाइन संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) का चौथा दिन शुक्रवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. कार्यक्रम का आयोजन कॉमनवेल्थ एजुकेशनल मीडिया सेंटर फॉर एशिया, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है. इस एफडीपी का उद्देश्य शिक्षकों को तकनीकी संसाधनों के प्रभावी उपयोग में दक्ष बनाना और उच्च शिक्षा को सशक्त करना है. एफडीपी के चौथे दिन ‘ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज’ और ‘क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेंसिंग’ पर केंद्रित सत्रों का आयोजन किया गया. नेताजी सुभाष मुक्त विश्वविद्यालय, कोलकाता की सहायक प्रोफेसर डॉ बरनाली रॉय चौधरी ने मूक कोर्स निर्माण की प्रक्रिया के पांच सिद्धांतों पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिक्षण सामग्री को कानूनी और सृजनात्मक तरीके से उपयोग में लाकर नवाचार संभव है. सत्र की शुरुआत में एआइयू-एकेयू एएडीसी की समन्वयक डॉ मनीषा प्रकाश ने मुक्त शिक्षा और नवाचार की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. सीओएल-सीइएमसीए के निदेशक डॉ बी शद्रच ने प्रतिभागियों को मूक कोर्स निर्माण के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि मूक कोर्स एक ऐसा माध्यम है जिससे शिक्षक करोड़ों विद्यार्थियों तक पहुंच बना सकते हैं.
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