
संवाददाता, पटना मीठापुर स्थित श्री गौड़ीय मठ में लगातार 92 सालों से रथयात्रा मनायी जा रही है. यहां 26 जून को गुंडिचा मार्जन महोत्सव मनाया जायेगा. वहीं 27 जून को श्री जगन्नाथ जी रथ यात्रा उत्सव मनाया जायेगा. इस दिन श्री जगन्नाथ क्षेत्रधाम के सभी प्रमुख स्थानों का स्मरण व महिमा कीर्तन, जयगान और परिक्रमा करते हुए संध्या पांच बजे से मंदिर परिसर में ही महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी को भ्रमण कराया जायेगा. इस अवसर पर संपूर्ण मंदिर को फूल बंगला बनाकर पूरी रथ यात्रा के थीम पर सजाया जायेगा. रथ यात्रा से एक दिन पहले गुंडिचा मार्जन महोत्सव में सैकड़ों भक्त हरे कृष्ण महामंत्र कीर्तन करते हुए श्री जगन्नाथ जी के सुखपूर्वक विश्राम के लिए संपूर्ण मंदिर को साफ करेंगे. गुंडिचा मार्जन की इस परंपरा को स्वयं श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने शुरू किया था. इस दिन मंदिर की सफाई करने से मन और हृदय की सफाई होती है. गुंडिचा मंदिर अभिन्न वृंदावन है और जगन्नाथ मंदिर अभिन्न द्वारका. भक्ति रसमय रस सार महाराज ने बताया कि रथयात्रा श्री राधा रानी और श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु के अनुगत भजन करने वाले भक्तों का यह खास त्योहार है. क्योंकि यह उत्सव श्री कृष्ण का श्री राधा और बृजवासियों से 100 वर्ष के विरह के बाद पुनर्मिलन होने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा अपने दिव्य रथों पर सवार होकर निकलते हैं. उन्हें उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर ले जाती हैं. गुंडिचा मंदिर, जिसे जगन्नाथजी की मौसी का घर कहा जाता है, वहां भगवान सात दिन तक ठहरते हैं. भक्तजन इसे भगवान की बाल लीला मानते हैं. सप्ताह भर के इस आत्मीय ठहराव के बाद भगवान पुनः अपने श्री मंदिर लौटते हैं. इस लौटने को कहते हैं बहुड़ा यात्रा. यह वापसी राजसी नहीं होती, बल्कि एक शांत, संतुलित और भावनात्मक विदाई होती है.
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