विवाह के रस्मों पर आधारित नाटक माल्यदान का मंचन

रवींद्रनाथ टैगोर की 164वीं जयंती के अवसर पर पटना के रवींद्र भवन में अतुल्या आर्ट्स द्वारा नाटक माल्यदान का मंचन किया गया.

By JUHI SMITA | May 10, 2025 7:40 PM
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संवाददाता, पटना रवींद्रनाथ टैगोर की 164वीं जयंती के अवसर पर पटना के रवींद्र भवन में अतुल्या आर्ट्स द्वारा नाटक माल्यदान का मंचन किया गया. लाडली कुमारी के निर्देशन में प्रस्तुत इस नाटक में विवाह की रस्मों के बीच प्रेम और त्याग की गहन कहानी दर्शायी गयी. नाटक की कथा जतिन और बिन्नी के इर्द-गिर्द घूमती है. जतिन, जो एक युवा डॉक्टर है, अपनी छुट्टियों में बहन के घर आता है. वहां उसकी चचेरी बहन पटल उसे शादी के लिए उकसाती है और बिन्नी से मिलवाती है, जो एक अनाथ लड़की है. मासूम और दुनिया की समझ से दूर बिन्नी, पटल के मजाक में जतिन से विवाह की इच्छा जताती है. लेकिन जतिन इसे बचपना मानकर ठुकरा देता है, जिससे बिन्नी का दिल टूट जाता है. बिन्नी घर छोड़कर चली जाती है और बाद में जतिन को अपने अस्पताल में बेहद कमजोर अवस्था में मिलती है. इस मोड़ पर जतिन को बिन्नी के प्रति अपने प्रेम का एहसास होता है. आखिरकार, पटल बिन्नी को दुल्हन के रूप में सजाती है और उसका अनकहा सपना उसके अंतिम क्षणों में सच हो जाता है. कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ लिया. यतीन के रूप में सिद्धांत सेतु, हरकुमार के रूप में पार्थो दास, पटल के रूप में श्रीपर्णा चक्रवर्ती और बिन्नी के रूप में लाडली कुमारी ने प्रभावित किया. नाटक ने प्रेम, त्याग और सामाजिक रीति-रिवाजों के गहरे पहलुओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया.

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