संवाददाता, पटना : जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, पटना ने टिकट को डिग्रेड करने पर शिकायतकर्ता को 60,000 रुपये का मुआवजा और 3,050 रुपये का किराया अंतर 12 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ देने का आदेश रेलवे को दिया है. मामला वर्ष 2014 का है. भारतीय सेना के कर्नल कुमार आनंद ने पत्नी और बच्चे के लिए नयी दिल्ली से पटना तक प्रथम एसी का टिकट बुक कराया था. लेकिन, यात्रा के दिन उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के द्वितीय एसी में डाउनग्रेड कर दिया गया, जिससे उन्हें न केवल असुविधा हुई, बल्कि मानसिक, आर्थिक व सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा. रेलवे द्वारा किराया अंतर लौटाने में पांच वर्षों से अधिक की देरी के बाद शिकायतकर्ता ने आयोग में 2019 में मामला दर्ज कराया. आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता के बार-बार पत्राचार और नोटिस भेजने के बावजूद भी रेलवे ने उनकी समस्या का समाधान नहीं किया और उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. आयोग ने रेलवे को 3,050 रुपये का किराया अंतर 12 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ चुकाना होगा. इसके अलावा मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के लिए 50,000 मुआवजा और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 10,000 रुपये दिये जायेंगे. आयोग ने कहा कि यदि 45 दिनों में आदेश का पालन नहीं किया गया, तो उपभोक्ता 10,000 की अतिरिक्त राशि और सीपीए की धारा 72 के तहत अभियोजन की कार्यवाही के लिए स्वतंत्र होंगे, जिसमें तीन साल तक की सजा या एक लाख तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
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