Bihar: पटना समेत 11 शहरों में थीम बेस्ड टाउनशिप, जमीन मालिक बनेंगे भागीदार

Bihar: बिहार सरकार ने शहरी विकास को नई दिशा देते हुए ‘बिहार शहरी आयोजना स्कीम नियमावली 2025’ को मंजूरी दे दी है. इस नीति के तहत बिना भूमि अधिग्रहण के ग्रीनफील्ड और सैटेलाइट टाउनशिप विकसित की जाएंगी, जिससे जमीन मालिक साझेदार बनेंगे.

By Paritosh Shahi | August 5, 2025 9:19 PM
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Bihar: बिहार में शहरीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को ‘बिहार शहरी आयोजना स्कीम नियमावली 2025’ को मंजूरी दे दी. यह नियमावली अब राज्य में नए ग्रीनफील्ड और सैटेलाइट टाउनशिप के विकास का आधार बनेगी. यह स्कीम बिहार में जमीन अधिग्रहण के पारंपरिक मॉडल को बदलेगी और निजी भूमि स्वामियों को विकास में सहभागी बनाएगी. यानि अब सरकार अब जमीन का अधिग्रहण किए बिना 11 शहरों में दिल्ली- नोयडा जैसी टाउनशिप विकसित कर सकेंगी.

टाउनशिप के लिए जो लेाग अपनी जमीन देंगे,उनको पैसे की जगह 55 फीसदी विकसित जमीन वापस मिलेगी. उसे वह अपने अनुसार बिक्री कर सकेंगे. सरकार केवल 15 फीसदी जमीन को अपने विक्रय के लिए रखेगी. 30 फीसद में सड़क, पार्क आदि सामाजिक संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा.

इस योजना के तहत सबसे पटना में टाउनशिप विकसित की जायेगी. इसकी तैयारी भी पूरी कर ली गयी है. नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने कैबिनेट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए विस्तार से ‘बिहार शहरी आयोजना स्कीम नियमावली 2025’ के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, राज्य के शहरी और अर्द्ध-शहरी इलाकों का नियोजित विकास के लिए फिलहाल 11 शहरों में टाउनशिप विकसित करने की योजना है. इसमें सभी प्रमंडलीय मुख्यालय शामिल हैं. राज्य के 43 शहरों में मास्टर प्लान का काम जारी है.

लैंड पुलिंग मॉडल पर आधारित है योजना

इस योजना के तहत भूमि मालिक अपनी ज़मीन सरकार को नहीं बेचेंगे, बल्कि योजना में योगदान के रूप में देंगे. बदले में उन्हें उसी क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं से युक्त विकसित भूखंड लौटाए जाएंगे. इस मॉडल में किसी तरह की जबरन अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी. योजना का सारा व्यय पात्र निजी डेवलपर वहन करेंगे.

सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा. मंत्री ने बताया कि यह नीति भूमि मालिकों को क्षतिपूर्ति के बजाय अवसर देती है. सड़क, जल, पार्क, सामाजिक अवसंरचना जैसे सार्वजनिक उपयोग के लिए भूमि सुरक्षित की जाएगी, जबकि बाकी हिस्से में पुनर्गठित भूखंड मालिकों व डेवलपरों के बीच वितरित किए जाएंगे.

100 हेक्टेयर में बसेंगे थीम आधारित टाउनशिप

न्यूनतम 100 हेक्टेयर क्षेत्र में विशेष थीम वाले टाउनशिप बसाने की योजना है. कुछ मामलों में यह सीमा 10 हेक्टेयर तक भी लाई जा सकती है. टाउनशिप में आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक उपयोग के लिए क्षेत्र तय होंगे. जल निकासी, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सड़क, जलापूर्ति, खुला मैदान, पार्क और व्यवसायिक केंद्र जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं प्लान के साथ विकसित की जाएंग

जमीन का उपयोग प्रतिशत में तय

  • सड़क निर्माण के लिए : अधिकतम 22%
  • कमजोर वर्गों के लिए आवास : 3%
  • सामाजिक संरचना (पार्क, हॉस्पिटल, थाना, पॉवर स्टेशन ग्रीन एरिया आदि) : 5%
  • भूमि मालिकों को लौटाई जाने वाली ज़मीन : 55%
  • डेवलपर को विक्रय योग्य भूमि : 15 %

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जमीन मालिकों को सड़क किनारे प्लॉट मिलेगा, ट्रिब्यूनल का भी प्रावधान: सचिव

नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा कि इस मॉडल से उन क्षेत्रों में भी विकास संभव होगा जो अभी लैंड-लॉक्ड हैं और जहां पहुंच की कोई व्यवस्था नहीं है. भूमि पुनर्गठन इस तरह से होगा कि मालिकों को सड़क किनारे प्लॉट मिलेगा और एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) के आधार पर उन्हें ज्यादा निर्मित क्षेत्रफल की अनुमति दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि पारदर्शी भू-आवंटन व्यवस्था के तहत किसी का नुकसान नहीं होगा. विवादों के समाधान के लिए विशेष ट्रिब्यूनल और रिजॉल्यूशन मैकेनिज्म की व्यवस्था की गई है. नयी टाउनशिप विकसित होने से पुराने शहरों पर जनसंख्या और यातायात का दबाव कम होगा. स्वच्छ, हरा-भरा और टिकाऊ जीवन शैली को बढ़ावा मिलेगा. वहीं राज्य के आर्थिक विकास को गति मिलेगी क्योंकि नई जमीनें निवेश के लिए खुलेगीं.

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