आयोग के सूत्रों के अनुसार, हर पांच साल में हर एक आम नागरिक सरकार बनाने और सरकार में शामिल होने का जनादेश देता है. सवाल यह है कि यह अधिकार किसे मिले. भारत निर्वाचन आयोग ने इतिहास, संविधान और नागरिकता कानून को ध्यान में रखते हुए ये तीन निर्णायक तिथियां तय की हैं. हालांकि चूंकि बिहार में 2003 में मतदाता विशेष पुनरीक्षण कराया गया था, जिसमें इससे संबंधित दस्तावेज जमा लिये गये थे, इसलिए 2003 की मतदाता सूची में शामिल लोगों को सिर्फ उसकी प्रति देना पर्याप्त बताया गया है.
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