Vintage Roller in Darbhanga: लावारिश पड़ा है 100 साल पुराना विंटेज स्टीम रोलर, अब उठी संरक्षण की मांग
Vintage Roller in Darbhanga: स्थानीय लोगों का कहना है कि यह उपेक्षित रोडरोलर पिछले कई वर्षों से शहर के गंगासागर तालाब के पास जर्जर हालत में पड़ा हुआ है.
By Agency | July 29, 2024 1:14 PM
Vintage Roller in Darbhanga:पटना/ दरभंगा. ब्रिटेन में निर्मित सौ साल से अधिक पुराने ‘स्टीम रोड रोलर’ को संरक्षित किए जाने की मांग दरभंगा के विरासत प्रेमियों ने की है. विंटेज रोडरोलर को बचाने की मांग ऐसे समय में आई है, जब भारत नयी दिल्ली में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की मेजबानी कर रहा है. सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मिथिला क्षेत्र के केंद्र दरभंगा के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह उपेक्षित रोडरोलर पिछले कई वर्षों से शहर के गंगासागर तालाब के पास जर्जर हालत में पड़ा हुआ है. दरभंगा में जर्जर हालत में पड़े इस विंटेज स्टीम रोलर को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं.
100 साल से अधिक पुराना है रोड रोलर
इस मशीन की डिजाइन और बनावट हाल ही में पटना संग्रहालय से संरक्षित किए गए जॉन फाउलर रोलर से बहुत मिलती-जुलती है. परिवहन विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि इसे भी उसी कंपनी के द्वारा बनाया होगा और इसकी विशिष्टता भी पटना के रोडरोलर जैसी ही है. इंग्लैंड के लीड्स में ‘जॉन फाउलर एंड कंपनी’ द्वारा निर्मित लगभग एक सदी पुराना भाप चालित रोडरोलर ध्वस्त हो चुके पटना समाहरणालय के परिसर के एक कोने में पड़ा था. लगभग 18 महीने तक पटना संग्रहालय में बुरी हालत में पड़े रहने के बाद एक महीने पहले सड़क निर्माण विभाग ने बुनियादी रखरखाव के बाद एक यांत्रिक कार्यशाला में संरक्षित कर रखा है.
पटना में संरक्षित मशीन देखकर आयी जागरुकता
दरभंगा में जन्मे 33 वर्षीय अभिनव सिन्हा मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं. उन्होंने स्थानीय सरकारी अधिकारियों और शहर के निवासियों तथा अन्य लोगों की इस ‘‘अनमोल विरासत’’ के प्रति उदासीनता पर अफसोस जताया. सिन्हा ने कहा कि लेकिन, पटना के रोडरोलर के पुनरुद्धार के बाद एक सकारात्मक बात यह हुई है कि हमारी जागरूकता बढ़ी है. हालांकि यह मशीन इतने वर्षो से वहां पड़ी थी, लेकिन मैंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया और न ही इसका महत्व समझा. उन्होंने कहा कि इस रोडरोलर की सभी प्लेट और मार्कर गायब हैं, जिसके बारे में कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि उनके प्राचीन मूल्य के कारण अतीत में धीरे-धीरे इन्हें चुरा लिया गया था.
स्थानीय अधिकारी नहीं ले रहे दिलचस्पी
दरभंगा में गंगासागर तालाब के पास दो संग्रहालय महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय और चंद्रधारी संग्रहालय हैं तथा दोनों ही बिहार सरकार के अधीन हैं. दरभंगा के मूल निवासी नारायण चौधरी का कहना है कि उन्होंने स्थानीय संग्रहालय अधिकारियों से दरभंगा के रोडरोलर को तुरंत संरक्षित करने की मांग की थी, लेकिन किसी ने दिलचस्पी नहीं ली. उन्होंने कहा कि पिछले साल नवंबर में भी मैंने संग्रहालय अधिकारियों से संपर्क कर इस विरासत को बचाने का आग्रह किया था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.
विरासत प्रेमियों में निराशा
चौधरी ने कहा कि हमने पटना में एक ऐसे ही रोडरोलर के बारे में पढ़ा था जिसे संरक्षित किया गया और उसका जीर्णोद्धार किया गया. हमारे दरभंगा के रोडरोलर को भी भविष्य की पीढ़ियों के लिए क्यों नहीं संरक्षित किया जा सकता. दरभंगा के स्थानीय संग्रहालयों के सूत्रों ने कहा कि शीर्ष अधिकारियों की इस मशीन को बचाने में कोई रुचि नहीं है. दरभंगा में किसी भी सरकारी एजेंसी ने अभी तक इसका स्वामित्व नहीं लिया है, जिससे विरासत प्रेमियों को और भी निराशा हुई है.
इस रोडरोलर का डिजाइन और निर्माण भी पटना रोलर के जैसा ही लगता है तथा इससे पता चलता है कि इसे भी अब बंद हो चुकी जॉन फाउलर कंपनी ने बनाया था और लगभग 100 साल पहले स्थानीय उपयोग के लिए भारत भेजा गया था. पटना में सड़क निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दरभंगा के रोडरोलर के पुराने महत्व को स्वीकार किया. अधिकारी ने कहा कि हमारे संज्ञान में लाया गया है कि पटना के समान ही एक और भाप चालित रोडरोलर दरभंगा में एक झील के पास पड़ा है. हम अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करेंगे और अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए पूरा प्रयास करेंगे.
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