Water Crisis: बिहार के 31 जिलों में भूजल हुआ जहरीला, केमिकल वाले पानी ने बढ़ाया कैंसर का खतरा

Water Crisis: बिहार के 4,709 वार्डों के भूजल में आर्सेनिक, 3,789 वार्डों में फ्लोराइड और 21,709 वार्डों में आयरन मौजूद है, जो लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है.

By Ashish Jha | March 16, 2025 7:38 AM
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Water Crisis: पटना. बिहार गंभीर भूजल प्रदूषण से जूझ रहा है. बिहार के 30,207 ग्रामीण वार्ड में उपलब्ध पानी पीने योग्य नहीं है. इस पानी के इस्तेमाल से लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं, जिसमें कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं. यह बात हाल ही में विधानमंडल में पेश बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2024-25) में उल्लेखित है. विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार के 4,709 वार्डों के भूजल में आर्सेनिक, 3,789 वार्डों में फ्लोराइड और 21,709 वार्डों में आयरन मौजूद है, जो लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है.

बिहार 31 जिलों की भूजल प्रदूषित

बिहार के लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के एक अध्ययन में कहा गया कि कुल 38 में से 31 जिलों के लगभग 26 प्रतिशत ग्रामीण वार्डों में भूजल आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन अनुमानित सीमा से ज्यादा है. बक्सर, भोजपुर, पटना, सारण, वैशाली, लखीसराय, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़ा, मुंगेर, कटिहार, भागलपुर, सीतामढी, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, जमुई, बांका, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया और किशनगंज जिलों में भूजल प्रदूषित है. पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने ग्रामीण बिहार को ‘हैंडपंप मुक्त’ बनाने और ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है.’

नदी के पानी को पेयजल बनाया जायेगा

बिहार सरकार पहले से ही नदी के पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करने की योजना पर काम कर रही है. मंत्री ने कहा कि सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने औरंगाबाद, डेहरी और सासाराम शहरों में आवश्यक उपचार के बाद पीने के लिए सोन नदी से पानी की आपूर्ति के लिए 1,347 करोड़ रुपये की परियोजना की आधारशिला रखी थी. इस योजना में सोन नदी के पानी का उपयोग किया जाएगा, जिससे इन शहरों की भूजल पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी. परियोजना के दो साल में पूरा होने की संभावना है. 2023 में, सीएम ने गया, राजगीर और नवादा के लोगों को महत्वाकांक्षी गंगा जल आपूर्ति योजना (जीडब्ल्यूएसएस) या ‘गंगा जल आपूर्ति योजना’ समर्पित की थी. इस योजना के तहत इन जिलों के लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की निर्बाध आपूर्ति की जाती है.

गुणवत्ता का मानकीकरण जरूरी

अधिकारियों को पीने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता का मानकीकरण और वर्गीकरण करना चाहिए. समाचार एजेंसियों से बात करते हुए मनोज कुमार ने कहा कि पेयजल गुणवत्ता मानकों में गुणवत्ता मापदंडों का वर्णन होना चाहिए. उन्होंने कहा, पानी में कई हानिकारक तत्व हो सकते हैं, फिर भी देश में पीने के पानी के लिए कोई मान्यता प्राप्त और स्वीकृत मानक नहीं हैं. प्रदूषण का प्रकार और उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव जल स्रोत के आधार पर अलग-अलग होते हैं. कुमार ने कहा कि जल प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पेट के संक्रमण से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों तक हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि शुद्धिकरण के तरीके व्यक्ति के जल स्रोत में मौजूद विशिष्ट संदूषकों पर निर्भर करते हैं. इसलिए संबंधित अधिकारियों द्वारा विस्तृत जल गुणवत्ता मानक पेश किए जाने चाहिए.

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