Q. पत्रकारिता व राजनीति, दोनों ही अलग-अलग क्षेत्र हैं. आप इन दोनों से कैसे जुड़ीं?
Ans- मैं मूल रूप से पूर्णिया के कसबा की रहने वाली हूं. शिक्षा के क्षेत्र में मैंने पत्रकारिता और इतिहास में एमए, और कंप्यूटर एप्लिकेशन में पीजी किया है. पत्रकारिता के दौरान मैंने फीचर लेखन में कार्य किया, मेरे आलेख प्रमुख दैनिक अखबारों में प्रकाशित होते रहे. इस बीच मैंने हिंदी मासिक पत्रिका ‘अनुपम उपहार’ की शुरुआत की और फिर ‘अनमोल सेवा’ नामक एनजीओ की स्थापना की. पत्रकारिता से समाज की आवाज उठाने का काम किया और राजनीति को एक बड़ा मंच मानते हुए उससे जुड़ गयी, ताकि महिलाओं और आम लोगों के हक की लड़ाई को और मजबूती से लड़ा जा सके.
Q. 90 के दशक में महिलाओं के लिए राजनीति में आना काफी कठिन था? ऐसे में आपने कैसे शुरुआत की?
Ans- 1998 में मैंने राजनीति में कदम रखा. उस समय अनुपम उपहार पत्रिका के माध्यम से समाज में सक्रिय थी. मेरे साथ एक युवा टीम थी, जो सामाजिक मुद्दों पर काम कर रही थी. तब वरिष्ठ नेता चंद्रभूषण राय ने सुझाव दिया कि मैं राजनीति से जुड़कर समाज के व्यापक हिस्से में प्रभावी कार्य कर सकती हूं. उन्होंने ही मुझे जदयू की छात्र इकाई में उपाध्यक्ष के रूप में शामिल किया. तब से आज तक मैंने छात्र, महिला और सामाजिक मुद्दों पर सक्रियता से काम किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में मैंने संगठन के लिए निरंतर सेवा दी है और पिछले तीन दशकों से महिला सशक्तीकरण को अपनी प्राथमिकता बनाये रखा है.
Q. राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जहां विवाद और आलोचनाएं आम हैं. आपने महिला होते हुए कैसे संतुलन बनाया?
Ans- मेरे परिवार में शुरू से ही सही को सही कहने की आजादी थी. यही आदत मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा बन गयी. पत्रकारिता ने मेरी दृष्टि को और धार दी. मैंने हमेशा अपनी छवि को लेकर सजगता बरती है. जब भी किसी ने अनुचित टिप्पणी की, मैं पीछे नहीं हटी, बल्कि बेबाकी से जवाब दिया. मेरा मानना है कि अगर आप सच्चे इरादों से काम करें, तो आलोचनाएं भी आपकी ताकत बन जाती हैं. मेरे पति और परिवार ने भी मुझे हर कदम पर समर्थन दिया, जिससे मेरा आत्मविश्वास और संकल्प मजबूत हुआ.
Q. बिहार राज्य महिला आयोग को लंबे समय बाद अध्यक्ष मिला है. आपकी प्राथमिकताएं और रणनीति क्या होंगी?
Ans- आयोग को नयी दिशा देने की जिम्मेदारी मुझे मिली है और मैंने इसे पूरी गंभीरता से लिया है. कार्यभार संभालते ही फरियादियों की सुनवाई शुरू कर दी है. 13 जून को समस्तीपुर से क्षेत्रीय दौरा शुरू किया गया. इस महीने मुजफ्फरपुर, पटना और बेगूसराय में पीड़ित महिलाओं से मुलाकात और सुनवाई की जायेगी. विशेष रूप से 17 और 19 जून को पटना के वन स्टॉप सेंटर, रिमांड होम और बेउर जेल में महिला कैदियों की स्थिति का जायजा लिया जायेगा. 18 जून को मुजफ्फरपुर और 26-27 जून को बेगूसराय में लंबित 395 मामलों की सुनवाई की जायेगी. मेरा मानना है कि जब तक महिलाओं को समाज में सम्मान, सुरक्षा और न्याय नहीं मिलेगा, तब तक कोई भी विकास संपूर्ण नहीं कहा जा सकता.
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