Q. आपका अभिनय से कैसे लगाव हुआ. आप मूल रूप से कहां की रहने वाली हैं ?
Ans- मैं मूल रूप से जहानाबाद के पंडुई गांव की रहने वाली हूं. बचपन गांव में बीता, दसवीं पटना में पढ़ी और फिर वनस्थली चली गई. वहीं से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स किया और गोल्ड मेडलिस्ट रही. अभिनय की शुरुआत 11वीं में यूथ फेस्टिवल के नाटकों को देखकर हुई. जब ग्रेजुएशन फर्स्ट इयर में मंच पर आने का मौका मिला तो ‘बिरजिस कदर का कुनबा’ में एक बुजुर्ग महिला का लीड रोल निभाया, जिसने अभिनय के प्रति मेरे लगाव को गहरा किया. 12वीं पास होने के बाद ही आप थिएटर कर सकते थे, यह वनस्थली का नियम था. ऐसे में मैंने नाटकों में भाग लेने लगी और अभिनय से जुड़ती चली गयी.
Q. ‘प्रतिज्ञा’ में ठकुराइन का किरदार निभाना कितना चुनौतीपूर्ण था?
Ans- जो किरदार आसानी से निभ जाये, उसमें उतना मजा नहीं आता है. मेरे लिए वही किरदार रोमांचक होते हैं, जिनमें चुनौती हो. ‘प्रतिज्ञा’ में मुझे 60 साल की ठकुराइन का किरदार निभाना था, जबकि मेरी उम्र तब 28 साल थी. यह किरदार मजबूत था, लेयर्ड था और उसी ने मुझे आकर्षित किया. ऐसे रोल निभाकर आत्मसंतोष मिलता है.
Q. बिहार से मायानगरी मुंबई तक का आपका सफर कैसा रहा?
Ans- मैं अपने परिवार की पहली सदस्य थी, जिसने अभिनय को करियर के रूप में चुना. 2005 में थिएटर करना भी लड़कियों के लिए वर्जित माना जाता था. समाज और परिवार से विरोध मिला, लेकिन मैंने सबको समझाया और मुंबई का रुख किया. वहां भी संघर्ष कम नहीं था, लेकिन मेरा मानना है कि जब इरादा पक्का हो, तो कायनात भी साथ देती है.
Q. आपकी नयी वेब सीरीज ‘ए जी हमको जाना है’ के बारे में कुछ बताएं. इसकी स्टोरी क्या है?
Ans- वेब सीरीज ‘ए जी हमको जाना है’ का निर्देशन प्रतीक शर्मा ने किया है. इस वेब सीरीज में मैंने डायलॉग लिखे और अभिनय भी किया है. यह समाज में मौजूद महिला-पुरुष के बीच बुनियादी भेदभाव पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी है, खासकर शौचालय जैसी जरूरत को लेकर. इसमें दिखाया गया है कि एक महिला कैसे पुरुष का रूप धरकर व्यवस्था को चुनौती देती है. कुल पांच एपिसोड की यह सीरीज ‘समानता के अधिकार’ को केंद्र में रखती है.
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