Bihar Police, अनुज शर्मा, पटना: शिवहर जिले के पुलिस अधीक्षक की पहल पर की गई जांच में खुलासा हुआ कि विक्रमा सिंह नामक दो पुलिस अवर निरीक्षक, एक गया जिले से और दूसरा शिवहर से, एक जैसी व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर पुलिस सेवा में थे. दोनों की नियुक्ति, सेवा अवधि और सेवानिवृत्ति की तिथि 31 जनवरी 2023 थी.
कैसे पता चला फर्जीवाड़ा
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि शिवहर से सेवानिवृत्त हुआ व्यक्ति असल में कैमूर जिले के रामगढ़ निवासी राजेन्द्र सिंह है. उसने अपने फुफेरे भाई विक्रमा सिंह की पहचान और शैक्षणिक दस्तावेजों का उपयोग कर 12 मई 1982 को रोहतास जिला बल में सिपाही के पद पर नियुक्ति प्राप्त की थी. ग्रामीणों और स्थानीय प्रतिनिधियों से जुटाए गए बयान, साथ ही सेवा पुस्तिका और पैन कार्ड के विश्लेषण से पुष्टि हुई कि शिवहर से रिटायर हुआ व्यक्ति फर्जी है.
कई धाराओं में केस दर्ज
जांच टीम ने जुलाई 2023 में अपनी रिपोर्ट शिवहर एसपी को सौंप दी थी. अब आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने राजेन्द्र सिंह उर्फ फर्जी विक्रमा सिंह के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज के आधार पर नौकरी हासिल करने सहित कई धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया.
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एक जैसा सबकुछ पाया गया
अपने फुफेरे भाई की पहचान चुराकर पुलिस की नौकरी हासिल करने के फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ, जब वह व्यक्ति सेवानिवृत्त हो गया. इस पूरे प्रकरण की शुरुआत शिवहर के पुलिस अधीक्षक की एक पहल से हुई. 17 जून 2023 को उन्होंने वरीय पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय जांच टीम गठित की.
टीम को आदेश मिला कि शिवहर जिले से सेवानिवृत्त हुए पुलिस अवर निरीक्षक विक्रमा सिंह की नियुक्ति और पहचान से संबंधित सभी दस्तावेजों की जांच की जाए. जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. पता चला कि गया और शिवहर जिलों से सेवानिवृत्त हुए दो अलग-अलग पुलिस अवर निरीक्षक, जिनका नाम एक ही विक्रमा सिंह था, उनकी सेवा पुस्तिका में न केवल नाम समान था, बल्कि पिता का नाम, स्थायी पता, जन्मतिथि, पैन कार्ड नंबर, शारीरिक मापदंड (ऊंचाई और छाती की चौड़ाई) और सेवानिवृत्ति की तारीख भी एक जैसी दर्ज थी.
दोनों पुलिस अधिकारियों की सेवा समाप्ति की तारीख 31 जनवरी 2023 थी. उनके पिता का नाम स्वर्गीय रामचेला सिंह स्थायी पता मोहनिया, भभुआ, जन्मतिथि 7 जनवरी 1963, और पैन कार्ड नंबर भी एक ही था. जांच के निष्कर्ष में कहा गया कि शिवहर जिले से सेवानिवृत्त हुए पुलिस अवर निरीक्षक विक्रमा सिंह ने वास्तव में फर्जी तरीके से नौकरी हासिल की थी. उनका वास्तविक नाम राजेन्द्र सिंह है, और वे कैमूर जिले के रामगढ़ के निवासी हैं. उनके पिता का नाम ब्रह्मदेव सिंह है.
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12 मई 1982 को बना सिपाही
जांच में यह भी सामने आया कि राजेन्द्र सिंह ने अपने फुफेरे भाई विक्रमा सिंह के शैक्षणिक दस्तावेजों और पहचान का इस्तेमाल कर 12 मई 1982 को रोहतास जिला पुलिस बल में बतौर सिपाही योगदान दिया था. इसके बाद वे प्रमोशन पाकर पुलिस अवर निरीक्षक बने और 31 जनवरी 2023 को शिवहर से रिटायर हो गए. जांच टीम ने स्थानीय ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों के बयान लिए और सेवा पुस्तिका के साथ-साथ शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का अवलोकन किया. तमाम सबूतों और गवाहियों के आधार पर टीम ने अपनी रिपोर्ट 14 जुलाई 2023 को शिवहर के एसपी को सौंप दी.
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