‘इंडियन वार फेयर,स्ट्रैटजी एंड पीस थ्रू द ऐजेज’ पर सेमिनार
संवाददाता, पटना
भारतीय सैन्य इतिहास लेखन में अभिलेखों की उपयोगिता एवं इस हेतु अभिलेख प्रबंधन एवं संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए बिहार राज्य अभिलेखागार द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में दिल्ली विवि के प्रोफेसर जगदीश नारायण सिन्हा ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-45) ने भारत में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी प्रगति को काफी प्रभावित किया.अंग्रेजों को राष्ट्रीय मुद्दों का सामना करने के लिए मजबूर किया. इससे बड़े सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हुए, जिनमें भारत की स्वतंत्रता शामिल है. ‘इंडियन वार फेयर,स्ट्रैटजी एंड पीस थ्रू द ऐजेज’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के अंतिम दिन प्रो सिन्हा ने कहा कि ब्रिटेन के साथ उपनिवेशीय संबंध के कारण भारत युद्ध में शामिल हो गया था.सेमिनार के दूसरे दिन देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के इतिहासकारों एवं रक्षा विशेषज्ञों द्वारा आलेख प्रस्तुत किये. तीन सत्रों में संचालित कार्यक्रम की अध्यक्षता मगध विवि के प्रो नृपेंद्र श्रीवास्तव, सेंट स्टीफेंस काॅलेज के डॉ महेश गोपालन एवं पीपीयू के प्रो मीना सिन्हा द्वारा की गयी.
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