Bihar News: लालू यादव ने पीएम मोदी के बिहार दौरे के दौरान दिए बयान पर कटाक्ष कसते हुए कहा है, “पीएम मोदी अगली बार 350 दिन बिहारी भुजा खाएंगे. 100 दिन भागलपुरी सिल्क पहनेंगे. छठी मैया का व्रत करेंगे. गंगा मैया में डुबकी लगायेंगे. बिहार से बचपन का रिश्ता स्थापित करेंगे. मधुबनी पेंटिंग का गमछा या कुर्ता पहनेंगे.” लालू यादव के बयान पर एनडीए के नेता ने जमकर निशाना साधा है. इसी कड़ी में जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर के पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि डबल इंजन की सरकार में बिहार का कैसे विकास हो रहा है.
संजय झा ने पोस्ट में क्या लिखा
जदयू सांसद ने लालू यादव और तेजस्वी यादव के आरोपों पर जवाब देते हुए लिखा, “जी हां, उनका दर्द स्वाभाविक है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल में 300 दिन मखाना खा रहे हैं. संसद की कार्यवाही का मैथिली भाषा में भी त्वरित रूपांतर करवा रहे हैं. मिथिला को नई-नई विकास परियोजनाओं की सौगात दे रहे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मधुबनी पेंटिंग की साड़ी पहन कर बजट पेश करती हैं और बिहार में बाढ़ से सुरक्षा तथा सिंचाई सुविधा की योजनाओं के साथ-साथ मखाना बोर्ड के गठन जैसी बड़ी घोषणा भी करती हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिथिला के महान सपूत ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ देने की सिफारिश करते हैं और प्रधानमंत्री जी उसे मान लेते हैं. नीतीश कुमार उड़ान स्कीम में मिले दो एयरपोर्ट में से एक मिथिला के केंद्र दरभंगा में स्थापित करते हैं. बिहार को मिला दूसरा एम्स भी दरभंगा को दे देते हैं.”
उन्होंने आगे लिखा, “यह सूची बहुत लंबी है. ऐसे समय में, जब मिथिला के विकास पर NDA की डबल इंजन की सरकार का ऐतिहासिक रूप से विशेष ध्यान हो, तब उन्हें दर्द नहीं हो जिनकी केंद्र और राज्य सरकारों ने मिथिला के विकास को रोकने और बिहार को बीमारू राज्य बनाये रखने की लगातार कोशिशें की थीं, यह कैसे संभव है! अटल विहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए नीतीश कुमार ने 28 फरवरी 2002 को दरभंगा में ‘राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र’ की स्थापना करवाई थी, जिसका उद्देश्य मखाना की खेती को बढ़ावा देना और नये बीज का अनुसंधान कर उत्पादन बढ़ाना था. लेकिन, बाद में बनी ‘उनकी’ केंद्र सरकार ने इस अनुसंधान केंद्र का राष्ट्रीय दर्जा हटा दिया था, जिससे संस्थान को फंड मिलना बंद हो गया था. केंद्र में एनडीए की सरकार बनने पर इसे फिर से राष्ट्रीय दर्जा दिया गया.”
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‘उनका’ यह दर्द अच्छा है
संजय झा ने राजद नेता पर निशाना साधते हुए आगे लिखा, “उन्होंने 1990 में बिहार की सत्ता संभालने के कुछ ही समय बाद मैथिली भाषा को राज्य की आधिकारिक भाषा और बीपीएससी की परीक्षा की भाषा की सूची से हटा दिया था. सीएम नीतीश के अनुरोध पर वर्ष 2003 में वाजपेयी की केंद्र सरकार ने मैथिली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया था और तब इसे UPSC से भी मान्यता मिली थी. 2005 में बिहार की कमान संभाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मैथिली को दोबारा BPSC की भाषा सूची में शामिल करके मिथिला की भाषा को उचित सम्मान दिया. उन्होंने केंद्र और राज्य की सत्ता में रहने के दौरान मिथिला में बाढ़ के प्रभाव को कम करने और हर साल बाढ़ से प्रभावित होने वाली बड़ी आबादी को राहत पहुंचाने की दिशा में कभी कोई कारगर कदम नहीं उठाया था. बाढ़ प्रभावितों को मुआवजा देने की शुरुआत भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी द्वारा ही की गई थी. इसके लिए मिथिला के लोगों ने नीतीश कुमार को प्यार से ‘क्विंटलिया बाबा’ नाम दिया था. मिथिला के विकास को रोकने के लिए ‘उनके’ द्वारा की गई निंदनीय कोशिशों की सूची भी लंबी है! ऐसे में आज जब NDA की डबल इंजन की सरकार में मिथिला विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ने लगा है, तो ‘उन्हें’ दर्द तो होना ही है! ‘उनका’ यह दर्द अच्छा है!”
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