नालंदा: बेटे के शहादत की खबर बूढ़े पिता को नहीं दे पाए लोग, बोले- भगवान ने बुढ़ापे की लाठी छिनी
नालंदा नालंदा के उतरथु गांव के रहने वाले सिकंदर राउत बिंद बुधवार को शहीद हो गए. उनकी शहादत पर पिता को गर्व है. उनका कहना है कि भले ही भगवान ने मेरे बेटे को मुझसे छिन लिया, लेकिन एक बात की खुशी है कि मेरा बेटे ने देश की सेवा करते हुए अपनी जान की आहुती दी है.
By Prashant Tiwari | May 14, 2025 3:03 PM
नालंदा के उतरथु गांव के रहने वाले सिकंदर राउत बिंद बुधवार को पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलीबारी में शहीद हो गए. उनकी शहादत की खबर जैसे ही घर के लोगों को मिली सभी सन्न रह गए. किसी में भी यह हिम्मत नहीं हुई को वह शहीद के पिता प्रताप राउत बिंद को यह जानकारी दे कि उनका प्राण से भी प्यारा बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा, उसने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया है. हालांकि जब इस बात की जानकारी बूढ़ें पिता को मिली तो उनकी आंखों में पानी से ज्यादा चेहरे पर गर्व का भाव था. उनका कहना है कि बेटा देश के काम आया, इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है. परिवार वाले सिकंदर का शव लेने के लिए रवाना हो गए हैं. गांव में पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
भगवान ने छिन ली बुढ़ापे की लाठी
मीडिया से बात करते हुए शहीद सिंकदर के पिता प्रताप राउत ने कहा कि कांपती आवाज में कहा कि बुढ़ापे में भगवान ने तीसरी लाठी छीन ली है, लेकिन गर्व है कि वह लाठी देश के काम आई. मेरे बेटे ने भारत मां के लिए जान दी है, इससे बड़ा सौभाग्य किसी पिता के लिए क्या हो सकता है.
सिकंदर के हैं दो छोटे बेटे
शहीद के घर इकट्ठा लोगों ने बताया कि सिकंदर दो भाइयों में छोटे थे और उनके दो छोटे बेटे हैं. हर कोई शहीद सिकंदर की बहादुरी और देशभक्ति की बातें कर रहा है. गांव के लोगों ने कहा कि सिकंदर राउत का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. उनकी शहादत हमेशा लोगों को प्रेरणा देती रहेगी. वे हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे. सिकंदर जैसे वीर सपूतों के कारण ही हमारा देश सुरक्षित है. हमें उनकी शहादत को हमेशा याद रखना चाहिए.
सिकंदर का पार्थिव शरीर जल्द ही गांव पहुंचेगा। इसके बाद पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। सिकंदर पहले रांची ( झारखंड ) में तैनात थे. पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ने पर उन्हें जम्मू-कश्मीर के अग्रिम मोर्चे पर भेजा गया था. वहीं, वे शहीद हो गए. गांव वालों ने बताया कि सिकंदर बचपन से ही साहसी और देशभक्त थे. उनका सपना सेना में जाने का था. उन्होंने अपना सपना पूरा किया और देश के लिए जान देकर गांव का नाम रोशन किया.