बैसा. बैसा प्रखंड हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलता है. महानंदा, परमान और कनकई नदी के कारण इस क्षेत्र में बाढ़ आम बात है. बरसात के मौसम में नदी के जलस्तर में भारी बढ़ोतरी हो जाती है. जिससे गांवों में कटाव, जलजमाव और जन-धन की हानि होती है. वर्ष 2017 की भयावह बाढ़ आज भी लोगों को याद है,. जब कई घर पूरी तरह से डूब गए थे, सड़कें बह गई थीं और सैकड़ों परिवारों को अपना घर छोड़कर सरकारी भवनों में शरण लेनी पड़ी थी. जैसे ही इस साल मानसून की दस्तक हुई, जिला प्रशासन भी सतर्क हो गया है. डीएम अंशुल कुमार के निर्देश पर बाढ़ संभावित इलाकों में लगातार बाढ़ पूर्व तैयारियों को लेकर अधिकारियों की टीमों द्वारा निरीक्षण किया जा रहा है. प्रखंड स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक प्रशासन हर जरूरी कदम उठा रहा है ताकि लोगों को समय पर राहत और सुरक्षित स्थान मिल सके.बाढ़ के दौरान लोगों को सुरक्षित रखने के लिए बैसा प्रखंड के दो पंचायतों सिरसी और धुसमल में बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण किया गया है. अंचलाधिकारी गोपाल कुमार ने बताया कि बाढ़ आश्रय स्थल में पेयजल, शौचालय और आवश्यक राशन की व्यवस्था की जा रही है.ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों को किसी तरह की दिक्कत न हो. वहीं शुक्रवार को अंचलाधिकारी गोपाल कुमार ने स्वयं दोनों बाढ़ आश्रय स्थल पहुंच कर मूलभूत सुविधाओं का जायजा लिया. अंचलाधिकारी गोपाल कुमार ने बताया कि दोनों बाढ़ आश्रय स्थल को मूलभूत सुविधाओं से लैस किया जाएगा ताकि बाढ़ के समय बाढ़ पीड़ितों को किसी भी प्रकार की कठिनाइयां से जूझना नहीं पड़े.
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