वाल्मीकि आश्रम में ही मां सीता ने लिया था पाताल लोक प्रवेश
माता सीता का पाताल प्रवेश स्थल वाल्मीकि आश्रम. ऐसी मान्यता है कि भारत नेपाल सीमा पर नेपाली क्षेत्र में स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली वाल्मीकि नगर क्षेत्र के वाल्मीकि आश्रम में लंका विजय के बाद अयोध्या में माता सीता और लक्ष्मण के साथ लौटने पर अयोध्या वासियों के द्वारा इनका भव्य स्वागत किया गया था. किंतु माता सीता पर प्रजा के किसी व्यक्ति द्वारा लांक्षण लगाने पर भगवान श्री राम के आदेश पर लक्ष्मण जी के द्वारा माता सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़ दिया गया था.
मां सीता ने इसी बिहड़ जंगल में दो वीर पुत्रों को दिया था जन्म
जहां माता सीता ने अपने प्रवास के दौरान दो वीर बालकों लव और कुश को जन्म दिया था. जिन्होंने इसी आश्रम में महर्षि वाल्मीकि के सानिध्य में रहकर शिक्षा दीक्षा और अस्त्र-शास्त्र का ज्ञान प्राप्त किया था. भगवान श्री राम के अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान करने पर विजय रथ के घोड़े को लव कुश के द्वारा नारायणी के तट पर रोक लिया गया था और दोनों वीर पुत्रों की वीर कथा को सुनकर भगवान श्री राम जंगल में लव कुश घाट व वाल्मीकि आश्रम आए थे. जहां दोनों भाई ने भगवान श्री राम का घोड़ा रोक रखा था.जहां महर्षि वाल्मीकि के समझाने पर लव कुश मान गए और भगवान राम का घोड़ा वापस लौटा दिया था. इसी वक्त माता सीता ने आश्रम में लिया था पाताल प्रवेश.
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वाल्मीकि आश्रम को विकसित करने की दिनेश अग्रवाल ने की मांग
वाल्मीकि नगर लोकसभा के भावी प्रत्याशी व भाजपा नेता दिनेश अग्रवाल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाल्मीकि आश्रम को विकसित करने की मांग किया है. उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम का तार चंपारण की धरती वाल्मीकि की तपोभूमि वाल्मीकि आश्रम से जुड़ा हुआ है. जहां माता सीता पाताल लोक गई थी. दिनेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को चंपारण के धरती पर आने का नेता भी देंगे और इसे वाल्मीकि आश्रम को विकसित करने की मांग करेंगे.