बिहार में अब बेटे फिर बेच सकेंगे पिता के नाम की जमीन, जमाबंदी की अनिवार्यता खत्म

बिहार में जमीन खरीद बिक्री के लिए लागू नए नियम पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. जिसके बाद अब बिहार में बेटे अपने पिता के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन को एक बार फिर से बेच सकेंगे.

By Anand Shekhar | May 15, 2024 3:52 PM
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Bihar Land Registry: जमीन की खरीद-बिक्री यानी रजिस्ट्री के लिए बिक्री करने वाले व्यक्ति के नाम जमाबंदी होने का जो नियम लागू किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है. इसके बाद अब फिर से पिता के नाम की जमीन की बिक्री पुत्र व पुत्रियां कर सकती है. यही नहीं, अगर पत्नी चाहती हैं, तो भी बिक्री कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला से इससे आम पब्लिक के साथ रजिस्ट्री ऑफिस के स्टांप वेंडर व दस्तावेज नवीस (कातिबों) में खुशी की लहर है.

एक बार फिर से ऑफिस में दिखने लगी लोगों की भीड़

लंबे समय बाद मंगलवार को सुबह से ही रजिस्ट्री कार्यालय में लोगों भीड़ दिखी. जिन कातिब व स्टांप वेंडरों की गुमटी में सन्नाटा पसरा था, उसमें भी मंगलवार को भीड़भाड़ दिखी. हालांकि, विभाग की तरफ से अब तक सुप्रीम कोर्ट के फैसला के आलोक में कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी किया गया है, जिससे कि बिना जमाबंदी वाली जमीन की भी खरीद-बिक्री हो सके.

विभागीय गाइडलाइन का इंतजार

ऑफिस के कर्मचारी व अधिकारी विभागीय निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. कहना है कि फिलहाल, जिनके नाम जमाबंदी हैं, उन्हीं के द्वारा बिक्री करने पर रजिस्ट्री की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट व सरकार के फैसलों पर लगी रोक के बाद लोग इंक्वायरी करने पहुंच रहे हैं. सभी को विभागीय गाइडलाइन आने का इंतजार करने को कहा गया है.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दिया है, जिसमें यह कहा गया था कि जमीन की रजिस्ट्री के लिए जमाबंदी होनी जरूरी है. अब बिहार में बगैर जमाबंदी के भी जमीन की रजिस्ट्री हो सकती है. दरअसल, जब से हाईकोर्ट का नया आदेश जारी हुआ था तभी से संपत्तियों की रजिस्ट्री में लगातार कमी देखी जा रही थी. इसके खिलाफ कातिबाें के अलावा आम पब्लिक की तरफ से भी एक साथ कई अपील याचिका सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गयी थी

10 अक्टूबर 2019 को पहली बार लागू हुआ था नियम

जमीन रजिस्ट्री में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए राज्य सरकार ने पहली बार 10 अक्टूबर 2019 को नियम लागू किया था. तब इसके खिलाफ कई याचिका हाईकोर्ट में दायर की गयी. कोर्ट ने 15 दिनों के भीतर ही 25 अक्टूबर को सरकार के फैसला पर रोक लगा दिया. तब से चल रही मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 09 फरवरी 2024 को सरकार के फैसला को सही करार देते हुए इसे लागू करने का आदेश दिया. इसके बाद सरकार ने 22 फरवरी को पत्र जारी कर इसे लागू किये हुए है.

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