बिहार सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के सचिव का करगहर में हुआ भव्य स्वागत, बोले- समाज सेवा मेरा धर्म

गांव कुशही में आयोजित सम्मान समारोह में 10,000 से अधिक लोगों की भीड़ उमड़ी. आयोजन स्थल पर लोगों का उत्साह देखने लायक था. तेज बारिश के बीच बूढ़े-बुजुर्ग, महिलाएं, युवा और बच्चे बारिश की परवाह किए बिना डटे रहे. हर चेहरे पर अपने गांव के गौरव के प्रति गर्व और प्रेम झलक रहा था.

By Prashant Tiwari | June 23, 2025 9:30 PM
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भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग, बिहार सरकार के सचिव पद पर पदोन्नत होने के बाद दिनेश कुमार राय आज जब अपने पैतृक गांव कुशही पहुंचे तो मानो जनसैलाब उमड़ पड़ा. पटना से सड़क मार्ग से यात्रा करते हुए जगदीशपुर, दिनारा और कोचस में समर्थकों ने जगह-जगह उनका अभूतपूर्व स्वागत किया. 1000 से अधिक गाड़ियों के काफिले के साथ दिनेश राय का काफिला उनके पैतृक गांव कुशही की ओर बढ़ता गया और हर मोड़ पर लोगों की भीड़ उनका अभिनंदन करती दिखी.

मैं जाति नहीं, जमात के साथ

मंच से अपने भावुक संबोधन में दिनेश राय ने कहा,”लोग मेरी जाति पर टिप्पणी करते हैं, लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं जाति नहीं, जमात के साथ रहता हूं. मैं किसी भी प्रकार के आरोपों से अलग हूं. आज का यह सम्मान समारोह ही सभी प्रकार की टिप्पणियों का मौन उत्तर है.”

अपने सेवाकाल की बातें साझा करते हुए उन्होंने कहा, “जिलाधिकारी रहते हुए भी मैं सुदूर क्षेत्रों में मोटरसाइकिल से पहुंचता था. आज जगदीशपुर से कुशही तक हजारों लोगों ने स्वागत किया, यह मेरे लिए अपार गर्व का क्षण है. हमें हर कार्य को राजनीति से जोड़ने की प्रवृत्ति छोड़नी चाहिए और इसे सामाजिक चेतना से जोड़ना चाहिए.”

मैं संकोच नहीं करूंगा

उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने जो कलम मुझे दी है, वह जनकल्याण की दिशा में काम करने के लिए है. व्यक्ति को अहंकार से मुक्त होकर कार्य करना चाहिए. जरूरत पड़ी तो पैदल चलना पड़े या ऑटो से सफर करना पड़े, मैं उसमें संकोच नहीं करूंगा.”

अपनी अपील में उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि गांव का हर बच्चा सुसंस्कृत बने, शिक्षित बने और अधिकारी बने. यह तभी होगा जब हम सब मिलकर अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देंगे, उन्हें पढ़ाएंगे-लिखाएंगे. अंत में उन्होंने भावुक होकर कहा, “मैं बच्चों की शिक्षा, परिवारों की सेहत, और जरूरतमंदों की सेवा के लिए निरंतर काम करता रहा हूं और करता रहूंगा. चाहे पद पर रहूं या न रहूं, समाज सेवा मेरा धर्म रहेगा.”

गांव कुशही में यह कार्यक्रम न केवल सम्मान समारोह था बल्कि यह जनता के प्रेम और समर्पण का ऐतिहासिक उदाहरण बन गया. उमड़ी भीड़ और उनकी भावनाएं राय से सक्रिय राजनीति में आने की अपील करती दिखीं.

लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी उनके राजनीतिक में शामिल होने की मांग की, हालांकि मीडिया से बात करते हुए उन्होंने साफ किया कि अभी वे सरकारी दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं, आगे जो भी माननीय मुख्यमंत्री का आदेश होगा उसी का पालन करेंगे.

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