इधर वक्फ बिल पास, उधर JDU में बवाल! कासिम अंसारी ने छोड़ी पार्टी, सीएम को भेजा इस्तीफा
बिहार : जेडीयू के वक्फ संशोधन बिल को समर्थन करने पर अब पार्टी में बगावत शुरू हो गई है. पार्टी के मुस्लिम नेता पार्टी के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. बिल के विरोध में जदयू नेता डॉ मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.
By Prashant Tiwari | April 3, 2025 9:48 PM
वक्फ संशोधन बिल 2024 बुधवार को लोकसभा में पास हो गया है, सरकार के इस फैसले का मुस्लिम संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं. खासकर एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू में इसे लेकर गहरा असंतोष है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी ने इस बिल का समर्थन किया है, जबकि इसके खिलाफ उन्हीं के कई मुस्लिम नेता विरोध जता रहे हैं. इसी बीच पूर्वी चंपारण जिले के जदयू चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद कासिम अंसारी ने बिल के विरोध में पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. कासिम अंसारी ने अपना त्याग पत्र जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजा है. इसके साथ ही, कासिम अंसारी ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर अपनी गहरी नाराजगी भी जाहिर की है.
Senior JD(U) leader Mohammed Kasim Ansari resigns from the party and all his posts over the party's stand on #WaqfAmendmentBill
"…I am disheartened that I gave several years of my life to the party," his letter reads. pic.twitter.com/dCG5JrPk7b
कासिम अंसारी ने पत्र में कहा, “वक्फ बिल ने मुझे और लाखों मुसलमानों को गहरा आघात पहुंचाया है. जदयू के नेताओं का इस बिल को समर्थन देने का तरीका न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह पसमांदा मुस्लिमों के खिलाफ है.” उन्होंने यह भी लिखा कि लोकसभा में ललन सिंह द्वारा इस बिल का समर्थन करते हुए दिया गया वक्तव्य उन्हें बहुत आहत करने वाला था.
डॉ. कासिम अंसारी पेशे से डॉक्टर हैं. अंसारी जेडीयू में एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं. पिछला विधानसभा चुनाव पूर्वी चंपारण के ढाका सीट से लड़ा था, लेकिन वे हार गए. बीते कई सालों से पार्टी के भीतर अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों को उठाने में सक्रिय रहे हैं. पसमांदा मुस्लिम समाज से आते हैं. पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर की तरह वे भी पसमांदा मुस्लिम वर्ग से आते हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव में भी वे ढाका विधानसभा क्षेत्र के संभावित प्रत्याशी भी थे. उनकी राजनीतिक पहचान नीतीश कुमार के सेक्युलर और सामाजिक न्याय के एजेंडे से जुड़ी रही, जिसके चलते वे मुस्लिम समुदाय में प्रभाव रखते थे.