डोरीगंज/छपरा. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में हो रही मूसलधार बारिश तथा डैमों से छोड़े जा रहे अतिरिक्त पानी का सीधा असर अब बिहार की नदियों पर देखने को मिल रहा है. गंडक पहले ही रौद्र रूप धारण कर चुकी है, वहीं अब घाघरा, सरयू और गंगा भी तेजी से खतरे के निशान की ओर बढ़ रही हैं. जिले के सदर प्रखंड के कई तटीय पंचायतों में बाढ़ की स्थिति बन चुकी है.
कई गांव बाढ़ की चपेट में, कटाव से दहशत
चिरांद, भैरोपुर निजामत, डुमरी, जलालपुर और मुसेपुर पंचायतों के दर्जनों गांवों में पानी घुस चुका है. तिवारीघाट, नोनिया टोली, मालीटोला और ऐतिहासिक स्थल चिरांद में फिर से तेज कटाव शुरू हो गया है. डोरीगंज दियारा क्षेत्र से संपर्क किसी भी वक्त टूट सकता है क्योंकि कई जगहों पर पुल-पुलिया और डायवर्सन पर पानी बह रहा है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में सबसे गंभीर समस्या आवागमन की है, जहां दियारा क्षेत्र के लोग नौका यातायात पर निर्भर हैं, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से किसी भी पंचायत में नावों की व्यवस्था नहीं की गयी है. इसको लेकर रायपुर विंदगवां पंचायत के मुखिया अशोक राय और कोटवा पट्टीरामपुर के मुखिया सत्येंद्र सिंह ने प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है. नाविकों का कहना है कि पिछले वर्ष की बकाया राशि अब तक नहीं दी गयी, जिस कारण वे काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं. मुखिया अशोक राय ने बताया कि पिछले साल चलाये गये सामुदायिक किचन की राशि भी अब तक भुगतान नहीं की गयी है. ऐसे में राहत व्यवस्था ठप है. वहीं इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सदर अंचलाधिकारी कुमारी आंचल ने बताया कि सामुदायिक किचन की राशि बैंक अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण रोकी गयी है, जैसे ही औपचारिकताएं पूरी होंगी, भुगतान कर दिया जायेगा. नाविकों की बकाया राशि भी शीघ्र भुगतान की प्रक्रिया में है. उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि प्रशासन बाढ़ से निबटने के लिए हरसंभव प्रयास में सक्रिय है.
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