
छपरा. सदर अस्पताल परिसर स्थित महिला छात्रावास भवन को कुछ कर्मचारियों द्वारा अनाधिकृत रूप से दोपहिया वाहनों की पार्किंग और चार्जिंग प्वाइंट में तब्दील कर दिया गया है. कर्मचारी अपनी स्कूटी और बाइक को भवन के आसपास खड़ा कर ड्यूटी कर रहे हैं और साथ ही अस्पताल की बिजली का उपयोग कर निजी वाहनों को चार्ज भी कर रहे हैं.
स्थिति चिंताजनक तब हो जाती है जब यह देखा जाता है कि जिस भवन में प्रतिदिन कोविड जांच होती है और जहां बड़ी संख्या में मरीज व आम लोग आते-जाते हैं, वहां इस तरह की अव्यवस्था फैलायी जा रही है. इस भवन में जीविका दीदियों द्वारा संचालित भोजनालय भी है, जहां परिजन और मरीज भोजन के लिए पहुंचते हैं.नियमों की हो रही खुलेआम अवहेलना
कर्मचारियों द्वारा इस तरह से अस्पताल परिसर का निजी लाभ के लिए उपयोग करना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है. मरीजों के परिजनों को खुले में धूप और बारिश में वाहन खड़ा करने की मजबूरी होती है, जबकि कर्मचारी सरकारी भवन के भीतर सुरक्षित पार्किंग सुविधा का अनुचित लाभ उठा रहे हैं.कई बार की गयी कार्रवाई, फिर भी नहीं दिख रहा असर
सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा समय-समय पर पार्किंग व्यवस्था को लेकर जांच अभियान चलाया गया है. डीटीओ सहित अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में कई बार अनधिकृत वाहनों पर जुर्माना भी लगाया गया, लेकिन इन कार्रवाइयों का कोई स्थायी असर कर्मचारियों पर नहीं दिख रहा है. कर्मचारी पूर्ववत भवनों के भीतर वाहन खड़ा कर सरकारी संसाधनों का उपयोग निजी हित में कर रहे हैं. इस पूरे मामले में जब सिविल सर्जन से प्रतिक्रिया मांगी गयी तो उन्होंने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. इससे यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल प्रशासन इस अव्यवस्था पर लगाम लगाने में असहाय बना हुआ है. मरीजों के परिजनों का कहना है कि हमें धूप में गाड़ी खड़ी करनी पड़ती है, लेकिन कर्मचारियों को हर सुविधा दी जा रही है. प्रशासन को चाहिए कि सभी के लिए एक जैसी व्यवस्था हो. यह स्थिति न केवल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस प्रकार सरकारी संसाधनों का मनमाने ढंग से दुरुपयोग किया जा रहा है.
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