छपरा. सारण में समय के साथ बदलती भौगोलिक स्थितियों में सारण का भूगोल भी बदलता जा रहा है. 25 वर्ष पूर्व जब सरचै, गंगा, गंडक नदी उन्मुक्त बहा करती थीं, तब सारण जिले का लगभग पूरा इलाका नदियों के जाल से घिरा था. सरयू और गंडक की छारण कही जाने वाली धाराएं अपने विभिन्न स्वरूपों में सारण को घेर रखी थी. वक्त के थपेड़ों ने जैसे सबकुछ बदल सा दिया है. कुछ नदियां जो अपने वजूद के लिए लड़ रही हैं, या यूं कह लीजिये कि छोटी धारा के रूप में आज उसका अस्तित्व मात्र बचा है. जिले की एक दर्जन नदियों का तो अस्तित्व तक मिट गया है. बुधवार को इसी गंभीर मामले को लेकर जिलाधिकारी अमन समीर ने भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अधीन जल एवं विद्युत परामर्श सेवा के पदाधिकारियों के साथ सारण की विलुप्त हो रही नदियों को लेकर समीक्षा की गयी. बैठक में अपर समाहर्ता, सभी उप समाहर्त्ता, भूमि सुधार, सभी अंचलाधिकारियों तथा बाढ़ प्रमंडल के अभियंता भी शामिल थे.
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