शहर के कचरे का मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी तकनीक से होगा निस्तारण

Sasaram news. शहरवासियों को जल्द ही कचरा निस्तारण केंद्र का लाभ मिलेगा. इससे शहर और आसपास के क्षेत्रों में हो रही कचरे की डंपिंग और उससे होने वाली वायु प्रदूषण के साथ ग्राउंड वाटर पॉल्यूशन से शहरवासियों को मुक्ति मिलेगी.

By ANURAG SHARAN | May 23, 2025 4:58 PM
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स्वास्थ्य भारत मिशन शहरी 2.0 के माध्यम से हो रहा निर्माण

इंफो

प्रतिनिधि, डेहरीशहरवासियों को जल्द ही कचरा निस्तारण केंद्र का लाभ मिलेगा. इससे शहर और आसपास के क्षेत्रों में हो रही कचरे की डंपिंग और उससे होने वाली वायु प्रदूषण के साथ ग्राउंड वाटर पॉल्यूशन से शहरवासियों को मुक्ति मिलेगी. कचरे के गीले हिस्से से जैविक खाद बनायी जायेगी, जिससे नगर पर्षद की आय के स्रोत में वृद्धि होगी. खाद को बेचने पर मिलने वाली राशि शहर के विकास कार्यों में खर्च होगी. डेहरी के शंकरपुर (कटार) में निर्मित कचरा निस्तारण केंद्र में अत्याधुनिक मशीन लगायी गयी है. जिले का यह पहला कचरा निस्तारण केंद्र होगा, जो मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) तकनीक के आधार पर बना है. कचरा निस्तारण केंद्र के निर्माण का लगभग सभी कार्य पूरा कर लिया गया है. शेष कार्य एक से दो माह के अंदर पूरा कर लिया जायेगा. जून के आखिर या जुलाई माह के प्रथम सप्ताह से निस्तारण केंद्र के कार्य शुरू कर देने की संभावना है.

जिले का होगा पहला अत्याधुनिक कचरा निस्तारण केंद्र

डेहरी के शंकरपुर कटार में निर्मित कचरा निस्तारण केंद्र जिले का पहला अत्याधुनिक कचरा निस्तारण केंद्र होगा. कचरा निस्तारण केंद्र का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के अंतर्गत सेंट्रल पब्लिक हेल्थ एंड एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग ऑर्गेनाइजेशन के माध्यम से किया गया है.

कचरा डंपिंग की समस्या से मिलेगी मुक्ति

कचरा निस्तारण केंद्र शुरू होने से कचरा डंपिंग की समस्या का भी समाधान हो जायेगा. निस्तारण केंद्र नहीं होने से शहर समेत आस पास के क्षेत्रों में कई स्थानों पर कचरे का पहाड़ बन गया है. इससे वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है. वहीं, दूसरी ओर ग्राउंड वाटर भी प्रदूषित हो रहा है. कई बार कचरे में आग लगाये जाने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. ठंड के मौसम में एक्यूआइ का स्तर बढ़ जाता है. इससे आसपास रहने वाले लोगों को सांस की समस्या व आंखों में जलन महसूस होती है. दूसरी तरफ बरसात के दिनों में बारिश और धूप के बाद कचरे से निकलने वाली दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है. ऐसे में कचरा निस्तारण केंद्र का निर्माण होने से उन सभी समस्याओं का समाधान हो जायेगा, जिनसे लोग अभी परेशान हैं.

100 टीपीडी है क्षमता

1.5 एकड़ भूमि में निर्मित कचरा निस्तारण केंद्र मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) की क्षमता 100 टन प्रति दिन (टीपीडी) है. यानी शहर से निकलने वाले 100 टन कचरे का निस्तारण एक दिन में होगा. इसके लिए 20 पिट बनाया गया है. प्रत्येक पिट में दो टन गीले कचरे के माध्यम से जैविक खाद बनायी जा सकती है. जैविक खाद बनाने में 20 से 25 दिनों का समय लगेगा. शहर से निकलने वाले कचरे को वाहन के माध्यम से निस्तारण केंद्र पर ले जाया जायेगा, जहां उसका वजन करने के बाद ट्रंबल मशीन के माध्यम से प्लास्टिक और ठोस पदार्थ को अलग किया जायेगा. प्लास्टिक और भारी पदार्थ को अलग-अलग कर उसे रिसाइकल के लिए भेजा जायेगा. साथ ही उससे निकलने वाले रिफ्यूज ड्राइ फ्यूल (आरडीएफ) का उपयोग सीमेंट प्लांट में ईंधन के रूप में किया जा सकता है. वहीं, गीले कचरे को कंपोस्ट पिट के माध्यम से जैविक खाद बनाया जायेगा. उक्त जैविक खाद को नगर पर्षद बेच कर अपनी कमाई में वृद्धि करेगी. खाद बेचने से आने वाले पैसे विकास कार्यों में खर्च होंगे.

72 टन प्रतिदिन नगर पर्षद क्षेत्र से निकलता है कचरा

बताया जाता है कि नगर पर्षद क्षेत्र से प्रतिदिन 72 टन कचरा निकलता है. इनमें 60 प्रतिशत गीला और 40 प्रतिशत सूखा कचरा होता है, जबकि निस्तारण केंद्र की क्षमता 100 टन प्रति दिन है. ऐसे में निस्तारण केंद्र की शुरुआत होने से नगर पर्षद को कचरा डंपिंग की समस्या से मुक्ति मिल जायेगी. साथ ही आय के स्रोत में भी वृद्धि होगी.

क्या कहते हैं अधिकारी

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