सासाराम सदर. फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है. यदि इसकी पहचान समय से नहीं हुई, तो दिव्यांगता का रूप ले सकती है. यदि यह बीमारी एक बार हो गयी, तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता. ये बातें बुधवार को सदर अस्पताल के मातृ शिशु अस्पताल में आयोजित जिलास्तरीय एमएमडीपी प्रशिक्षण के दौरान अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉ अशोक कुमार ने कहीं. इसके उन्मूलन के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है. इसके तहत जिला स्तरीय सीएचओ को प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए सबसे पहले हमें इससे पीड़ित लोगों की पहचान करनी होगी और बीमारी की रोकथाम के लिए प्रत्येक वर्ष चलाये जाने वाली सर्वजन दवा सेवन अभियान में भी हमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना होगा. अभियान के दौरान जो दवा खिलायी जाती है, वह काफी कारगर होती है. यह फाइलेरिया की रोकथाम में सहायक होती है. अभियान के लक्ष्य को अंतिम पायदान तक के लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.
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