टूरिस्टों के लिए सुरक्षित
पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने झरने के किनारों पर लोहे के खंभे और तार लगवाए हैं, ताकि तेज बहाव या अचानक आई बाढ़ की स्थिति में कोई हादसा न हो. यह व्यवस्था यह दिखाती है कि रोमांच के साथ-साथ सुरक्षित वातावरण भी उतना ही जरूरी है.
सिख समुदाय का लगता था मेला
सावन पूर्णिमा के बाद मांझर कुंड में सिख समुदाय द्वारा मेला लगाया जाता था. तीन दिनों तक गुरु ग्रंथ साहिब की मौजूदगी में भजन-कीर्तन होता था. हालांकि बीते 15 वर्षों से यह परंपरा बंद है, लेकिन इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है.
कैमूर की पहाड़ियों में है स्थित
मांझर कुंड जलप्रपात, विन्ध्याचल के कैमूर की पहाड़ियों में बसा एक खूबसूरत प्राकृतिक स्थल है. यहां काव और कुदरा नदियों का पानी मिलकर एक गहरे कुंड में गिरता है, जो देखने में बेहद शांत और सुकून देने वाला लगता है. प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर के शौकीनों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं. ऊंची पहाड़ियों से गिरते झरने के पास नहाना और उसे करीब से देखना लोगों के लिए यादगार अनुभव बन जाता है.
वीकेंड्स में लगती है खास भीड़
मांझर कुंड अब सिर्फ धार्मिक जगह नहीं रहा, बल्कि कैमूर, भोजपुर, औरंगाबाद और पटना जैसे जिलों से लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं. बरसात में यहां की हरियाली और झरने का नजारा लोगों को खींच लाता है. वीकेंड्स पर परिवार के साथ खाना बनाने, पानी में खेलने और शांति का अनुभव लेने के लिए यहां बहुत से लोग पहुंचते है.
(जयश्री आनंद की रिपोर्ट)
Also Read: Bihar Weather: बिहार में अगले 7 दिनों तक होगी भारी बारिश, IMD ने जारी किया अलर्ट, जानिए वजह