
सीतामढ़ी/सुप्पी. जिले के सुप्पी प्रखंड के मनियारी खरहिया टोला स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में बीते 17 फरवरी की दोपहर वर्ग संचालन के दौरान छत का प्लास्टर गिरने से पांच बच्चों के जख्मी होने की घटना को लेकर अबतक एफआइआर दर्ज नहीं किया जा सका है. जबकि घटना के दिन ही इसको लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) प्रमोद कुमार साहू ने सुप्पी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीइओ) सरिता कुमारी को प्रधानाध्यापक, संबंधित जेइ व संवेदक के विरुद्ध थाने में एफआइआर दर्ज कराने का आदेश दिया था. हालांकि बीइओ ने मंगलवार को ही थाने में एफआइआर दर्ज करने को लेकर आवेदन देने की बात कही है. इसके अलावा विद्यालय के प्रधानाध्यापक मुकेश कुमार झा की ओर से भी एफआइआर दर्ज किये जाने को लेकर आवेदन दिया जा चुका है. इसके बावजूद थाने के द्वारा अबतक(संवाद प्रेषण) एफआइआर दर्ज नहीं की गयी है. थानाध्यक्ष विष्णुदेव कुमार ने पूछने पर बताया कि थाने में दो आवेदन प्राप्त हुआ है. हम इसकी जांच कर रहे हैं. वरीय पदाधिकारी के स्तर से भी इसकी जांच हो रही है. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सका है. पीड़ित बच्चों के परिजन ने भी अबतक कोई आवेदन नहीं दिया है. जबकि हादसे में बच्चे जख्मी हुए थे तथा सदर अस्पताल में उनका इलाज भी किया गया. उधर, हादसे के बाद दूसरे दिन भी बच्चे स्कूल से नदारद रहे.
— टेंडर आवंटन व कार्य में शिक्षकों की भूमिका न के बराबर : संघ
विद्यालय में हादसे को लेकर स्थानीय प्रखंड परिसर में शिक्षक संघ की बैठक प्रखंड अध्यक्ष राणा आकाशदीप की अध्यक्षता में हुई. जिसमें सभी शिक्षकों ने कहा कि विभाग के वरीय पदाधिकारी के स्तर पर टेंडर आवंटित कर कार्य कराया गया है. इसमें शिक्षक की भूमिका नहीं के बराबर है. इसके बावजूद भी शिक्षक को ही दोषी करार देने का प्रयास किया जा रहा है, जो निराशाजनक है. बैठक में सभी शिक्षकों के सहमति से प्रस्ताव पारित किया गया कि जब तक विभागीय स्तर पर जांच करवा कर रिपेयरिंग किए गए भवनों को इंजीनियर द्वारा खतरा से मुक्त होने का पेपर नहीं दिया जाएगा, तब तक किसी भी विद्यालय में इन भवनों में वर्ग संचालन नहीं किया जाएगा. सभी शिक्षकों ने बीडीओ से मिलकर अपनी समस्या से उन्हें अवगत कराया.
— जिला पार्षद ने कहा- सही तरीके से जांच हो तो उजागर होगा बड़ा घोटालाजिला पार्षद आदित्य मोहन सिंह गुड्डु ने शिक्षकों की समस्या जानने के लिए मंगलवार को कई विद्यालयों का भ्रमण किया. उन्होंने बताया कि कई शिक्षकों द्वारा बताया गया कि जब दूसरे विद्यालयों में त्रुटिपूर्ण कार्य होते देख, किसी अन्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा ठेकेदार को वर्क ऑर्डर देने से मना किया जाता था, तो कनीय अभियंता और जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा दूरभाष के माध्यम से विकास कार्य में बाधा डालने, विभाग का ड्रीम प्रोजेक्ट होने की बात कह विभागीय कार्रवाई की बात कही जाती थी. भ्रमण के दौरान उन्होंने देखा कि सबमर्सिबल लगे छह महीना से ऊपर हो चुका है, लेकिन अब मामला गर्माने पर ठेकेदारों द्वारा मिस्त्री रखकर उसे ठीक करवाया जा रहा है. सिर्फ पिछले एक साल के अंदर प्रखंड के विद्यालयों में हुए कार्यों की जांच सही तरीके से करवा लिया जाए, तो बहुत बड़ा घोटाला उजागर होगा.
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