राजकीय नलकूप हुए नाकाम, किसान चिंतित

धान का बिचड़ा गिराने का समय निकट आ रहा है.किसानों का मानना है कि रोहणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा गिराना सही होता है. किसानों की चिंता यह है कि प्रखंड में सिंचाई के दो मुख्य संसाधन सरकारी नलकूप व नहर की हालत खस्ता हाल है.धान का बिचड़ा गिराने के लिए खेतों की सिंचाई कीजरुरत पड़ने वाली है. सिंचाई के संसाधनों का घोर अभाव है. न तो नहरों की शाखाओं में पानी है और न ही सरकारी नलकूप सही-सलामत है. नहर की कुछ शाखाओं का पक्कीकरण हो रहा है. ऐसे में इन शाखाओं में पानी आना असंभव-सा लगता है.

By DEEPAK MISHRA | May 18, 2025 10:00 PM
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प्रतिनिधि,बड़हरिया. धान का बिचड़ा गिराने का समय निकट आ रहा है.किसानों का मानना है कि रोहणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा गिराना सही होता है. किसानों की चिंता यह है कि प्रखंड में सिंचाई के दो मुख्य संसाधन सरकारी नलकूप व नहर की हालत खस्ता हाल है.धान का बिचड़ा गिराने के लिए खेतों की सिंचाई कीजरुरत पड़ने वाली है. सिंचाई के संसाधनों का घोर अभाव है. न तो नहरों की शाखाओं में पानी है और न ही सरकारी नलकूप सही-सलामत है. नहर की कुछ शाखाओं का पक्कीकरण हो रहा है. ऐसे में इन शाखाओं में पानी आना असंभव-सा लगता है. ग्रामीण अंचल में सिंचाई के मुख्य संसाधनों में सरकारी नलकूप व नहर ही हैं. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता व विभागीय लापरवाही के चलते बड़हरिया प्रखंड के सभी राजकीय नलकूपों की हालत बदहाल है.प्रखंड के दर्जनभर सरकारी नलकूपों में से अधिकांश खराब पड़े हैं.लेकिन उनकी मरम्मत नहीं कराई जा रही है.नलकूप खराब होने से किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई को लेकर चिंतित हैं, वे अपनी फसलों की सिंचाई नलकूपों से नहीं करा पाने का मलाल हैं. एक दशक से खराब हैं राजकीय नलकूप राजकीय नलकूप करीब एक दशक से खराब पड़े हैं. सरकार द्वारा एक नलकूप से करीब तीन किलोमीटर की परिधि के खेतों की सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन विभागीय लापरवाही व प्रशासनिक उदासीनता के कारण नलकूप रूम के बगल के किसानों को भी अपने खेतों में पटवन के लिए निजी बोरिंग का ही सहारा लेना पड़ता हैं.किसानों को मजबूरन निजी संसाधनों से सिंचाई करना पड़ रहा हैं. विभागीय लापरवाही व उदासीनता का आलम यह है कि कई नलकूप की केबल व आपरेटिंग रूम की दरवाजे व खिड़कियां टूट चुके हैं. पूर्व जिला पार्षद जदयू नेता संजय राम कहते हैं कि उनके गांव हलीम टोला का नलकूप खराब है.अधिकांश नलकूपों के नाले टूटकर बिखर चुके हैं.कुछ लोगों ने नालों को अपने खेतों में मिला लिया हैं. सदरपुर सरकारी नलकूप के नालों की मरम्मत जिला पार्षद विनोद सिंह द्वारा करायी गयी है. इस नलकूप को संचालित करने के लिए लगा बिजली का ट्रांसफॉर्मर भी ठीक-ठाक है.फिर नलकूप चालू नहीं किया जाता. प्रखंड के सुंदरी गांव के प्रगतिशील किसान व बीजेपी नेता उमाशंकर साह का कहना है कि प्रखंड के किसानों के सिंचाई के लिए 70 के दशक में लघु सिंचाई विभाग द्वारा सात नलकूपों को लगाये गये थे.उसके बाद अन्य सिंचाई योजनाओं के अंतर्गत कुल 13 नलकूपों की स्थापना की गई .इन नलकूपों की स्थापन से प्रखंड के किसानों को कुछ वर्षों तक सिंचाई का लाभ मिला.उसके बाद लचर विद्युत आपूर्ति व अन्य समस्याओं के कारण अधिकांश नलकूप बंद होते गए. अभी हालात यह है कि सदरपुर, राछोपाली,भीमपुर, सुंदरपुर, लकड़ी,हलीम टोला, लकड़ी दरगाह, कैलगढ़ सहित अधिकतर सरकारी नलकूप बंद पड़े हैं. इस कुव्यवस्था से किसानों में फसलों की सिंचाई को लेकर चिंता बढ़ती जा रही हैं. रामाज्ञा सिंह, मुन्ना सिंह,लालाबाबू सिंह, राजन उपाध्याय,सुदर्शन सिंह, जीतेंद्र सिंह सहित अन्य किसानों ने राजकीय नलकूपों को चालू कराने की मांग की है.

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