आरोपितों के नाम हो सकते हैं और भी संपत्ति
सीबीआई को शक है कि आरोपितों के नाम और भी संपत्ति हो सकती है, जिसके बारे में पता नहीं चल सका है. वहीं यह भी आशंका है कि आरोपित अपनी संपत्ति बेच भी सकते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए सीबीआइ ने लॉक की गयी संपत्ति (खरीद-बिक्री पर रोक) के अलावा किसी और संपत्ति की खरीद-बिक्री से संबंधित रिपोर्ट मांगी थी. इस पर भागलपुर निबंधन कार्यालय ने ऐसी किसी प्रोपर्टी की खरीद-बिक्री नहीं होने की रिपोर्ट भेजी है.
इन आरोपियों की संपत्ति की खरीद-बिक्री पर लगी है रोक
प्रवर्तन निदेशालय ने मो. अंसार कुरैसी की एक, कल्पना कर्ण की एक, अमित कुमार की 11, रजनी प्रिया की सात, रंजना सिन्हा की एक, रजनी प्रिया व मौलिक की एक, अमित कुमार व बिपिन कुमार की एक, पूजा कुमारी की चार, अर्चना लाल की एक, सीमा कुमारी की एक व मनोरमा देवी की छह संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी थी. इस पर रोक लगी हुई है. इसमें मकान व जमीन शामिल हैं.
घोटाले की जांच कर रही सीबीआई
प्रवर्तन निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर संतोष कुमार मंडल ने उक्त अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का अनुरोध जिला प्रशासन से किया था. सभी लॉक की गयी संपत्ति जगदीशपुर, नाथनगर व सबौर में अवस्थित है. सरकारी विभागों के खाते से साजिश के तहत सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर द्वारा करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच सीबीआइ कर रही है. वहीं संपत्ति पर कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (इडी) भी पीएमएल एक्ट (मनी लांड्रिंग) के तहत कर रहा है.