प्रभात खबर के पड़ताल में सामने आई सच्चाई, विकास की कमान संभालने वाले कलेक्ट्रेट कैंपस की सड़क ही बदहाल

प्रभात पड़ताल : मुजफ्फरपुर शहर में हल्की सी बारिश में भी सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है, घुटनों तक पानी भर जाता है. आलम यह है कि खनन कार्यालय के सामने तो बिना बारिश के भी गड्ढों में पानी जमा रहता है, जिसे ईंटों के सहारे लोग पार करने को मजबूर हैं.

By Prashant Tiwari | April 11, 2025 5:55 AM
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प्रभात पड़ताल, मुजफ्फरपुर : शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, दावे बड़े-बड़े किये जा रहे हैं. लेकिन, विडंबना देखिए, जिस कलेक्ट्रेट कैंपस से पूरे जिले के विकास की नीतियां बनती हैं, उसी के भीतर की मुख्य सड़क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है. डीएम और एसएसपी जैसे शीर्ष अधिकारियों के कार्यालयों के बीचो-बीच बनी यह सड़क रजिस्ट्री, खनन, परिवहन और सूचना एवं जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण कार्यालयों को जोड़ती है. बावजूद, इसके सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे राहगीरों और फरियादियों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं.

तालाब में तब्दील हो जाती है सड़क 

हल्की सी बारिश में भी सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है, घुटनों तक पानी भर जाता है. आलम यह है कि खनन कार्यालय के सामने तो बिना बारिश के भी गड्ढों में पानी जमा रहता है, जिसे ईंटों के सहारे लोग पार करने को मजबूर हैं. रोजाना बड़ी संख्या में लोग पब्लिक डीलिंग के लिए इन सरकारी दफ्तरों में आते हैं, लेकिन खस्ताहाल सड़क उनकी परेशानी का सबब बनी हुई है. हैरानी की बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जबकि, सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व इन्हीं सड़कों से सटे कार्यालय रजिस्ट्री, डीटीओ और खनन विभाग से मिलती है. यह हाल तब है जब शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों की योजनाएं चल रही हैं.

उठ रहे सवाल 

ऐसे में सवाल उठता है कि जब विकास की धुरी कहे जाने वाले कलेक्ट्रेट कैंपस की सड़क ही बदहाल है, तो पूरे शहर को स्मार्ट बनाने का सपना कैसे साकार होगा. क्या जिम्मेदार अधिकारी इन गड्ढों को देखकर भी अनदेखा करते रहेंगे. यह स्मार्ट सिटी की योजनाओं पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है. इसलिए कि कलेक्ट्रेट का एरिया स्मार्ट सिटी के एबीडी में पड़ता है. फिर भी इस सड़क का नहीं बनना कहीं ना कहीं स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों की उदासीनता को दर्शाता है.

सात साल पहले बनी सड़क, अब तक किसी का नहीं गया ध्यान

यह सड़क करीब सात-आठ साल पहले बनी थी, तब डूडा विभाग निर्माण कार्य देखता था. स्थानीय लोगों की मानें तो सड़क बनने के कुछ ही दिनों बाद टूटने लगी थी. तत्कालीन जिलाधिकारी की सख्ती के बाद ठेकेदार ने आनन-फानन में इसकी मरम्मत करवाई थी. लेकिन, उसके बाद से जो गड्ढे बनने शुरू हुए, उनकी कभी दोबारा मरम्मत नहीं हुई. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सीवरेज पाइपलाइन बिछाने के नाम पर सड़क को खोदा जरूर गया, लेकिन गड्ढों को जैसे-तैसे भरकर छोड़ दिया गया, जिससे स्थिति और बदतर हो गई है.

कलेक्ट्रेट ही नहीं, सदर अस्पताल रोड भी जर्जर

कलेक्ट्रेट के पास स्थित सदर अस्पताल रोड की भी हालत खस्ता है. आठ साल पुरानी इस सड़क के निर्माण के लिए नगर निगम ने टेंडर तो निकाला है, लेकिन एजेंसी का चयन न होने से काम रुका पड़ा है और गड्ढे लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि, इस बार एजेंसी का चयन हो गया है. अगले सप्ताह से सदर अस्पताल रोड का निर्माण शुरू हो जायेगा. ट्रैफिक सिग्नल होने के बावजूद जर्जर सड़क यातायात में बाधा डाल रही है. कंपनीबाग रेड लाइट सिग्नल के पास भी सड़क की स्थिति अत्यंत खराब है.

बोले नगर आयुक्त

हम इस सड़क की इंजीनियरों की टीम भेज जांच कराएंगे. अविलंब जर्जर सड़क के निर्माण को लेकर जो भी आवश्यक कदम होंगे. वह उठाये जायेंगे. पहले कब और किस विभाग से यह रोड बना है. इसकी भी जानकारी प्राप्त की जायेगी. (विक्रम विरकर, नगर आयुक्त सह एमडी स्मार्ट सिटी)

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