सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में राघव चड्ढा से राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से बिना शर्त माफी मांगने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई थी कि सभापति इस मामले में सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभापति इस आधार पर विचार कर सकते हैं कि राघव चड्ढा एक युवा सदस्य हैं. उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि इस तरह राघव चड्ढा के निलंबन को रद्द करने का रास्ता निकाला जा सकता है.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि आप सांसद राघव चड्ढा 11 अगस्त से ही राज्यसभा से निलंबित हैं. कुछ सांसदों ने चड्ढा पर उनकी सहमति के बिना एक प्रस्ताव में उनका नाम जोड़ने का आरोप लगाया था जिनमें से ज्यादातर सदस्य बीजेपी के सदस्य हैं. वहीं, उस प्रस्ताव में विवादास्पद दिल्ली सेवा विधेयक की जांच के लिए प्रवर समिति के गठन की मांग की गई थी. शिकायत पर गौर करते हुए सभापति ने आप नेता को विशेषाधिकार समिति की जांच लंबित रहने तक निलंबित कर दिया था.
वही इस मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक संसद प्रतिनिधि को संसद से इतने लंबे समय तक निलंबित रखना उसके विशेषाधिकारों का हनन हो सकता है. वो भी तब जब वह एक राजनीतिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हो. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछने के लहजे में कहा था कि क्या सरकार के पास उनको एक लंबे समय तक निलंबित रखने का अधिकार है. बता दें, राज्यसभा से अनिश्चितकालीन समय तक के लिए निलंबित किए जाने के बाद राघव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
भाषा इनपुट से साभार
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