झारखंड पेसा नियमावली में संशोधन की है जरूरत : गणेश पाट पिंगुवा

सीतारामडेरा स्थित आदिवासी एसोसिएशन हॉल में रविवार को मानकी मुंडा संघ पूर्वी सिंहभूम द्वारा पी-पेसा-1996 पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला की अध्यक्षता मानकी मुंडा संघ के केंद्रीय अध्यक्ष गणेश पाठ पिंगुवा ने की

By Dashmat Soren | September 1, 2024 9:25 PM
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जमशेदपुर: सीतारामडेरा स्थित आदिवासी एसोसिएशन हॉल में रविवार को मानकी मुंडा संघ पूर्वी सिंहभूम द्वारा पी-पेसा-1996 पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला की अध्यक्षता मानकी मुंडा संघ के केंद्रीय अध्यक्ष गणेश पाठ पिंगुवा ने की, जबकि मंच का संचालन मानकी रोशन पूर्ति और त्रिभुवन जामुदा ने किया. कार्यशाला के दौरान केंद्रीय अध्यक्ष गणेश पाठ पिंगुवा ने मानकी मुंडा हुकूकूनामा (रिकार्ड ऑफ राईट) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की. उन्होंने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि झारखंड सरकार द्वारा तैयार किया गया पेसा कानून पी-पेसा के अनुरूप नहीं है. उनका कहना था कि आदिवासियों के क्षेत्रीय परंपराओं और व्यवस्थाओं के अनुसार ही कानून को लागू किया जाना चाहिए. इस संदर्भ में झारखंड पेसा नियमावली में संशोधन की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विल्किंसन रूल को इसमें शामिल किया जाना चाहिए. उनका मानना था कि इससे आदिवासियों का विकास उनके पारंपरिक तरीकों से संभव हो सकेगा.

नियमावली में संशोधन कर विल्किंसन रूल को शामिल किया जाये: प्रो. सोमनाथ पाड़ेया

कार्यशाला में मानकी मुंडा संघ के सलाहकार प्रो. सोमनाथ पाड़ेया ने पेसा नियमावली के तहत ग्रामसभा के संचालन, ग्रामसभा के कोरम, महिलाओं की भागीदारी और ग्रामसभा को दिए गए अधिकारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड पेसा अधिनियम नियमावली में संशोधन कर पी-पेसा के अनुरूप कोल्हान प्रमंडल में रूढ़ि परंपरा के अनुसार विल्किंसन रूल को शामिल किया जाना चाहिए. इससे क्षेत्र के आदिवासियों का समग्र विकास संभव हो सकेगा. साथ ही, गांव में नियमित रूप से ग्रामसभा का आयोजन होना चाहिए और इसकी जानकारी बीडीओ व उपायुक्त को भी प्रदान की जानी चाहिए.

विल्किंसन रूल व पी-पेसा-1996 के बारे में जानकारी दी

केंद्रीय सचिव मानकी कृष्णा सामद ने भी विल्किंसन रूल और पी-पेसा-1996 के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इन नियमों को सही तरीके से लागू करने से आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक सुधार संभव होंगे.कार्यशाला में पूर्वी सिंहभूम के साथ-साथ सरायकेला-खरसावां और पश्चिम सिंहभूम जिलों से भी कई प्रतिनिधि शामिल हुए. इस अवसर पर मानकी गणेश पाठ पिंगुवा, कृष्णा सामद, रोशन पूर्ति, त्रिभुवन जामुदा, रायमूल बानरा, प्रो. सोमनाथ पाड़ेया, रुद्र नारायण सिंह, इंद्रजीत मुंडा, दुर्गा प्रसाद मुंडा, श्रीराम पूर्ति, कविराज सुंडी, गालू सुंब्रूई, जुगू मुंडरी, डिबर बानरा, रघुनाथ हेंब्रम, मंगल मुंडा, मनोज जमुदा, अमर तापे, अशोक मुंडा, सुरा पूर्ति, लखन देवगम, विमल मुंडा सहित कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे.

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