राकेश वर्मा, बेरमो, बोकारो जिला के गोमिया में नक्सलियों पर पुलिस व सुरक्षाबल हावी है. सात माह में एक दर्जन नक्सलियों को मार गिराया गया है. इसमें कई हार्डकोर नक्सली शामिल हैं. 21 अप्रैल 2025 को गोमिया प्रखंड में ही ललपनिया से सटे चोरगांवां के सोसो टोला के निकट लुगू पहाड़ की तलहटी में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस एक करोड़ रुपये का इनामी विवेक उर्फ प्रयाग मांझी (केंद्रीय कमेटी सदस्य), तीन लाख रुपये का इनामी अरविंद यादव (स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य), 10 लाख रुपये का इनामी साहब राम मांझी (जोनल कमेटी मेंबर) सहित आठ नक्सली मारे गये थे. बाद में एक महिला नक्सली ने बोकारो एसपी के समक्ष सरेंडर किया था. साथ ही भारी मात्रा में हथियार एवं दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद किये गये थे. 209 कोबरा, बोकारो पुलिस, झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ द्वारा चलाये गये इस अभियान का नाम “डाकाबेड़ा ” दिया गया था.
वर्ष 2007 में भी ऊपरघाट के जरवा में पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. उस समय पुलिस ने दावा किया था कि तीन नक्सली मारे गये हैं, लेकिन उनके साथी शवों को लेकर भाग गये. बोकारो थर्मल के तत्कालीन थाना प्रभारी शैलेश कुमार चौहान लैंड माइन की चपेट में आने के कारण घायल हो गये थे. नौ जनवरी 2011 को चतरोचटी थाना क्षेत्र के हुरलूंग पंचायत के जरिया में हुई मुठभेड़ में झुमरा क्षेत्र का एरिया कमांडर धर्मेंद्र महतो सहित तीन नक्सली मारे गये थे. अमन पहाड़ के नीचे अंबानाला नाला के पास वर्ष 2015 में नक्सली देवलाल मांझी मारा गया था.
पहले थी नक्सलियों की धमक, एक दशक में बदली हवा
बेरमो अनुमंडल के नावाडीह प्रखंड का ऊपरघाट और गोमिया प्रखंड का झुमरा व लुगू पहाड़ क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. पुलिस की सक्रियता के कारण अब नक्सली काफी कमजोर हो गये हैं. एक समय इन इलाकों में नक्सलियों द्वारा किये जाने वाले बड़ी कार्रवाई से पूरा बेरमो धमक जाता था. चाहे गोमिया प्रखंड के दनिया व जगेश्वर बिहार रेलवे के बीच दर्जनों बार रेल पटरी को डायनामाइट से उड़ाने की घटना हो, या लैंड माइन विस्फोट कर पुलिस वाहन को उड़ाने की घटना. नक्सलियों ने इस क्षेत्र में पुलिस मुखबिरी के आरोप में कई लोगों को मौत के घाट उतारा है. इन क्षेत्रों के आसपास के गांवों में नक्सलियों का दहशत इस कदर ग्रामीणों में था कि एक फरमान पर पूरे इलाके में वोट बहिष्कार हो जाता था. लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भारी अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बावजूद मतदाता घरों में ही दुबके रह जाते थे. नक्सली फरमान को नहीं मानने वाले या पुलिस की मुखबिरी करने वाले को जनअदालत लगाकर कड़ी सजा देते थे. लेकिन अब नक्सलियों की वह खौफ नहीं है. बीते एक दशक में नक्सली गतिविधियां सिमट गयी. नौजवानों का मोहभंग नक्सलियों से होता गया और संगठन से दूरी बनाने लगे. नक्सलियों के काफी प्रयास के बाद भी संगठन में युवाओं की कमी बनती गयी. पढ़ी-लिखी बच्चियां भी इन गांवों में ब्याह कर आयीं और गांवों में बदलाव की वाहक बनीं. नक्सलवाद के रास्ते बंद हुए. युवाओं ने शिक्षा व रोजगार के रास्ते को चुना. गोमिया, नावाडीह, चंद्रपुरा प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित गांवों के हजारों युवा रोजगार की खातिर पलायन कर गये.
बेरमो अनुमंडल में अब तक की बड़ी नक्सली घटनाएं
27 अप्रैल 2006- बोकारो झरिया ओपी व दामोदा सीआइएसएफ कैंप पर हमला, कई जवानों की मौत, राइफल लूट
26 जून 2006- दनिया-जगेश्वर बिहार के बीच रेलवे ट्रेक उड़ाया
15 जुलाई 2007- गोमिया अंचल कार्यालय को लैंड माइंस विस्फोट कर उड़ाया 26 जनवरी 2007- जगेश्वर बिहार-दनिया के बीच रेलवे ट्रैक उड़ाया
12 जून 2009- फुसरो मुख्य बाजार व नावाडीह के सारुबेड़ा स्थित बिडवा जंगल में नक्सलियों का हमला, 11 जवानों की मौत, राइफल की लूट
12 अक्टूबर 2009- बोकारो थर्मल-जारंगडीह रेलवे स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक उड़ाया
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