Home Badi Khabar आकांक्षा-40 : मजदूर के बेटे ने किया झारखंड टॉप, आईआईटी करना चाहता है अनिल

आकांक्षा-40 : मजदूर के बेटे ने किया झारखंड टॉप, आईआईटी करना चाहता है अनिल

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आकांक्षा-40 : मजदूर के बेटे ने किया झारखंड टॉप, आईआईटी करना चाहता है अनिल

बोकारो (मुकेश झा) : बोकारो के सेक्टर 2D के रहने वाले गुदड़ी के लाल अनिल कुमार ने आकांक्षा-40 में पूरे राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया है. वह आईआईटी करना चाहता है. उसके पिता मजदूरी का काम करते हैं. किसी तरह अपने परिवार का गुजारा करते हैं.

सेक्टर टू राजकीयकृत उच्च विद्यालय लकड़ाखंदा सरकारी विद्यालय में पढ़नेवाले छात्र अनिल कुमार ने झारखंड में बोकारो का नाम रोशन किया है. इस गुदड़ी के लाल ने पहले दसवीं की परीक्षा में 95% अंक लाकर विद्यालय का नाम रोशन किया. अब शिक्षा विभाग के द्वारा चलाए जा रहे आकांक्षा-40 में दाखिला लेने के लिए हुई परीक्षा में झारखंड में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. इसके साथ-साथ विद्यालय के चार और छात्रों ने सफलता हासिल की है.

छात्र अनिल कुमार के पिता मजदूरी का काम करते हैं और सेक्टर 2D में झोपड़ी में रहकर अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं. अनिल दो भाई और एक बहन है. इसकी सहायता पढ़ाई में भाई और बहन भी करते हैं. अनिल कुमार ने कहा कि वह अब आकांक्षा-40 में 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी कर आईआईटी में दाखिला लेना चाहता है. उसने कहा कि दसवीं की परीक्षा पास करने पर उसके विद्यालय के शिक्षक ने उसे आकांक्षा 40 का फॉर्म भरने को कहा. उसके बाद उसने फॉर्म भरा था.

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बोकारो जिला शिक्षा पदाधिकारी नीलम आईलीन टोप्पो ने बताया कि पूरे राज्य के 24 जिलों के बच्चों के बीच आकांक्षा-40 में दाखिला लेने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षा आयोजित की जाती है. इसके बाद उस परीक्षा में पास करने वाले 40 बच्चों को रांची में आवासीय सुविधा देकर उन्हें 10वीं और 12वीं की पढ़ाई करवाई जाती है. जहां से बच्चे पढ़कर आईआईटी और नीट की परीक्षा में शामिल होते हैं. उन्होंने छात्र अनिल की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए छात्र के साथ-साथ स्कूल के शिक्षकों को भी बधाई दी है.

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छात्र अनिल की मां फूलो देवी कहती हैं कि उनके तीन बच्चे हैं. जिनकी पढ़ाई को लेकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि घर में सिर्फ एक कमानेवाले उनके पति हैं. वे मजदूरी का काम करते हैं. इस कारण बच्चों को पढ़ाने में काफी दिक्कत होती है. किताबें इतनी महंगी हैं कि समय पर खरीद भी नहीं पाते.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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