
सुनील तिवारी, बोकारो, जम्मू-कश्मीर में बने दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज में बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) का फौलादी स्टील लगा है. बीएसएल सहित सेल के अन्य इस्पात संयंत्रों ने इस पुल के निर्माण के लिए 16,000 टन स्टील की आपूर्ति की है. इसमें मुख्य रूप से प्लेट्स, टीएमटी बार और स्ट्रक्चर शामिल हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने 43 हजार करोड़ रुपये की लागत से बने फ्रांस के एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज का शुक्रवार को लोकार्पण कर दिया. इससे कश्मीर घाटी रेल मार्ग से भी देश से जुड़ जायेगी. देश की सीमाओं की सुरक्षा भी आसान होगी. खासतौर से हिमालय के पीर पंजाल दर्रे पर भी नजर रखना आसान होगा, जो आतंकियों के लिए कश्मीर में घुसने का आसान रास्ता है.
टीएमटी उत्पाद, स्ट्रक्चरल स्टील, हॉट स्ट्रिप मिल प्रोडक्ट, स्टील प्लेट्स व चेकर्ड प्लेट की हुई है आपूर्ति
बोकारो स्टील प्लांट सहित सेल के इस्पात संयंत्रों ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल में प्रयोग के लिए 6690 टन टीएमटी उत्पाद, 1793 टन स्ट्रक्चरल स्टील व 7511 टन स्टील प्लेट्स, हॉट स्ट्रिप मिल प्रोडक्ट व चेकर्ड प्लेटों सहित कुल 16,000 टन इस्पात की आपूर्ति की है. बीएसएल सहित सेल के भिलाई, बर्नपुर स्थित इस्को स्टील प्लांट, दुर्गापुर स्टील प्लांट व राउरकेला स्टील प्लांट ने भी स्टील की आपूर्ति की है. बीएसएल ने बांद्रा-वर्ली सी-लिंक के साथ ही मुंबई में अटल सेतु, अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग, हिमाचल प्रदेश में अटल सुरंग और राष्ट्रीय महत्व की कई अन्य प्रोजेक्ट्स के निर्माण में फौलादी स्टील की आपूर्ति की है. अब बीएसएल ने चिनाब रेलवे ब्रिज के रूप में एक और कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है, जिससे कर्मी खुश हैं. वहीं बीएसएल कर्मियों के साथ-साथ बोकारोवासियों के लिए भी यह गर्व व उत्साह का विषय है कि विश्व के सबसे ऊंचे बने रेलवे पुलिस में बीएसएल का लोहा इस्तेमाल किया गया है.
दशकों से विकास कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रहा बीएसएल
बीएसएल दशकों से देश में होने वाले विकास कार्यों में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है. देश के विकास के लिए जब भी बड़े पैमाने पर पुल व बांधों का निर्माण किया जाता है, तब बीएसएल सहित सेल का लोहा-स्टील उसमें इस्तेमाल किया जाता है. बीएसएल में काम करने वाले मजदूरों से लेकर अफसरों तक के लिए यह सम्मान की बात है. बीएसएल में बना लोहा व स्टील देश के रक्षा क्षेत्र से लेकर बिजली के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता रहा है, जो गर्व का विषय है.सामरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए डीएमआर 249ए ग्रेड स्टील
देश को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में बीएसएल सक्रिय भूमिका निभा रहा है. 60 सालों में संयंत्र के गलन शालाओं में ढले इस्पात ने देश की सामरिक जरूरतों को पूरा करने, देश की महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं को आकार देने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को विस्तार देने से लेकर रोजगार-सृजन व समावेशी स्थानीय विकास का एक सफल केंद्र-बिंदु बनने तक राष्ट्र-निर्माण के हर आयाम में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है. देश की सामरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बीएसएल डीएमआर 249ए ग्रेड स्टील का उत्पादन लंबे अर्से से कर रहा है. इसका उपयोग आइएनएस विक्रांत, आइएनएस विंद्यागिरी, आइएनएस महेंद्रगिरी आदि युद्धपोतों में किया गया है.मौसम प्रतिरोधी स्ट्रक्चरल्स/वैगन निर्माण के लिए विशेष स्टील ग्रेड
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शिपिंग कंटेनर निर्माण के लिए मौसम प्रतिरोधक सेल कोर-ए ग्रेड इस्पात, सोलर पैनल के लिए हाई स्ट्रेंथ हायर कोटिंग गैल्वनाइज़्ड कॉइल आइएस 277 जीपी 350 600 जीएसएम स्टील ग्रेड, सीई मार्क के साथ ईएन 10025 355J2 ग्रेड स्टील सहित मौसम प्रतिरोधी स्ट्रक्चरल्स/वैगन निर्माण के लिए विशेष स्टील ग्रेड आदि शामिल है. बीएसएल को अमेरिकन ब्यूरो ऑफ शिपिंग (एबीएस) और इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (आइआरएस) से सामान्य और उच्च शक्ति जहाज निर्माण गुणवत्ता वाले स्टील का प्रमाणन भी प्राप्त हुआ है. यह गौरव सर्वप्रथम बीएसएल को प्राप्त हुआ है.आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 जैसी दूरदर्शी पहलों के अनुरूप हो रहा काम
बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीके तिवारी ने कहा कि बीएसएल भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 जैसी दूरदर्शी पहलों के अनुरूप कार्य करते हुए देश के लिए रणनीतिक महत्त्व के अनेक स्टील ग्रेड्स का स्वदेशी विकास कर रहा है. राष्ट्र की सामरिक शक्ति को सशक्त बनाने के लिए बोकारो स्टील प्लांट द्वारा विकसित स्वदेशी मरीन ग्रेड स्टील का उपयोग भारतीय नौसेना के अग्रणी युद्धपोतों विक्रांत, महेन्द्रगिरि, विंध्यगिरी व नीलगिरि के निर्माण में किया गया है. यह भारत की रक्षा क्षमता को मजबूती प्रदान करता है और अब चिनाब रेलवे ब्रिज.
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