झारखंड के बोकारो में बड़ा हादसा, मनरेगा का कुआं धंसने से मजदूर की मौत, ग्रामीणों में आक्रोश

बोकारो जिले के जरीडीह प्रखंड के टोंडरा गांव में आज बड़ा हादसा हो गया. मनरेगा कूप निर्माण के दौरान धंसने से लाभुक और मजदूरी कर रहे घनेनाथ महतो की मौत हो गयी. इस घटना में उसके पुत्र अमित को भी चोट लगी है. हादसे के चार घंटे के बाद भी पुलिस नहीं पहुंची. किसी अधिकारी ने भी सुध नहीं ली. इससे लोगों में आक्रोश दिखा.

By Guru Swarup Mishra | May 29, 2025 8:16 PM
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कसमार(बोकारो)-जरीडीह प्रखंड अंतर्गत भस्की पंचायत के टोंडरा गांव स्थित चाटनकोचा टोला में गुरुवार को मनरेगा का निर्माणाधीन सिंचाई कूप धंसने से एक व्यक्ति की मौत हो गयी. मृतक घनेनाथ महतो (पिता पूरन महतो) कूप का लाभुक था. वह मजदूर के रूप में स्वयं और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों और मजदूरों के साथ ईंट जोड़ाई कर रहा था. इस घटना में उसके पुत्र अमित को भी चोट लगी है. घटना के करीब तीन घंटे तक वह मूर्छित पड़ा रहा. स्थानीय चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक उपचार किया.

मनरेगा से मिला था कूप


मृतक घनेनाथ महतो को मनरेगा के तहत कूप मिला था. घर से करीब 500 फुट दूर अपने खेत के पास कूप निर्माण कार्य कर रहा था. करीब 32 फुट खुदाई का काम पूर्ण होने के बाद छह फुट पत्थर की जोड़ाई का काम भी पूरा कर लिया था और उसके ऊपर ढलाई भी कर ली थी. पिछले दिनों की तरह गुरुवार को परिवार के अन्य सदस्यों व मजदूरों के साथ ईंट जोड़ाई शुरू किया था. इसी दौरान ऊपर की मिट्टी धंस गयी और घनेनाथ कुएं के अंदर मिट्टी में दब गया. घटना की खबर की फैलते ही काफी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे तथा मिट्टी में दबे घनेनाथ को कुएं से बाहर निकाला, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.

घटना के चार घंटे बाद भी नहीं पहुंची पुलिस


ग्रामीणों ने बताया कि घटना की सूचना जरीडीह पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल दे दी गयी, लेकिन सूचना मिलने के करीब चार घंटे बाद शाम सात बजे तक पुलिस नहीं पहुंची. इसको लेकर ग्रामीणों ने रोष भी प्रकट किया. घटना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. मृतक की पत्नी पेंगी बाला देवी रोते-रोते बार-बार मूर्छित हो रही थी. परिवार के अन्य सदस्यों की भी यही स्थिति थी. इधर पूरे गांव में मातम छाया हुआ है. ग्रामीणों ने कहा कि घनेनाथ महतो काफी नेक दिल इंसान था.

ये मजदूर थे कार्यरत


कुएं की जोड़ाई कार्य में घनेनाथ महतो के अलावा पेंगी बाला देवी, अतूला देवी, राम पदो महतो, सुमीया देवी, अमित कुमार महतो, संजय कुमार महतो, फेकनी देवी, खुशबू कुमारी और सिनाथ महतो कार्यरत थे.

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