चतरा. बरसात के दिनों में सर्पदंश की घटनाओं में वृद्धि हुई है. ऐसे में सर्पदंश के बाद समय पर इलाज के लिए मरीज को अस्पताल ले जाने पर उनकी जान बच सकती है, लेकिन रूढ़ीवादी परंपरा अपनानेवाले ग्रामीण जानकारी के अभाव में मरीज को झाड़-फूंक कराने ओझा के पास ले जाते हैं, जहां मरीज की जान चली जाती है. ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वास के कारण अब तक सर्पदंश से घायल कई लोगों की जान जा चुकी है. पिछले पांच माह के आंकड़े पर गौर करें, तो सर्पदंश के शिकार 52 लोग इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे, जहां एंटी स्नैक वेनम लगाने से उनकी जान बच गयी. सदर अस्पताल में जनवरी माह में एक, फरवरी में चार, मार्च में सात, अप्रैल में 11 व मई में 29 व्यक्ति सर्पदंश के बाद इलाज कराने पहुंचे. वहीं कुंदा थाना क्षेत्र के टिकुलिया गांव निवासी महेश भुइयां को एक सप्ताह पूर्व सांप ने डंस लिया, लेकिन समय पर इलाज नहीं होने से उसकी मौत हो गयी. सर्पदंश के लगभग छह घंटे के बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया था. इस संबंध में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ मनीष लाल ने लोगों से सर्पदंश के बाद तुरंत अस्पताल लाने की बात कही, ताकि समय पर इलाज कर उसकी जान बचायी जा सके. बताया कि फिलहाल सदर अस्पताल में 2600 एंटी स्नैक वेनम वायल उपलब्ध है.
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